शहीद (Martyr) दिनेश की अपने पिता से 1 मई को हुई थी अंतिम बार बात
बाबू मैं ठीक छूं…. तुम आपू ध्यान धरिया… (पिताजी मैं ठीक हूं, तुम अपना ध्यान रखना..) यही वो अंतिम शब्द थे जो हंदवाड़ा में शहीद (Martyr) होने वाले दिनेश (दिनू) ने अपने पिताजी से फोन पर कहें थे। इन्हीं शब्दों को याद कर जहां पिता गोधन सिंह गमहीन है वहीं उन्हें दिनेश के शहादत पर गर्व भी है। हों भी क्यों ना फोन पर बातें करते हुए उन्होंने आखिरी बार दिनेश से बात करते हुए उसे फौज का फर्ज याद दिलाया था और कहा था कि देश की आन, बान व शान की रक्षा के साथ खुद का खयाल रखना। उन्होने दिनेश से यह बात 1 मई को तब कहीं जब दिनेश ने कहा कि आजकल बार्डर पर माहौल बहुत खराब है, रोज आतंकियों से सामना हो रहा है। एक पूर्व फौजी होने के कारण गोधन अच्छी तरह जानते थे कि देश की सीमा की हिफाजत करना कितना जरूरी है। वह 2005 में सेना से रिटायर हुए थे। दिनेश की शहादत को नमन कर वह गर्व से बोलते हैं कि दिनेश ने आज वह कर दिखाया, जो मैं नहीं कर पाया, मुझे अपने बेटे पर गर्व है।
गांव में नहीं जला एक भी चूल्हा, दिनेश की शहादत की खबर से शोक में डूबा पूरा मिरगांव:-
विदित हो कि जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में बीते शनिवार को आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान पांच सुरक्षाकर्मी शहीद (martyr) हो गए थे। जिनमें राज्य के अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लॉक के मिरगांव (ध्याड़ी) का दिनेश सिंह गैडा भी शामिल था। दिनेश की शहादत की सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। दिनेश की मां तुलसी देवी का रो-रोकर बुरा हाल है वहीं पूरे गांव में मातम छाया हुआ है। बीते रविवार की शाम को मिरगांव के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला, हर कोई दिनेश की शहादत की खबर से स्तब्ध था और यही कह रहा था कि अभी उसकी उम्र ही क्या थी। गांव वालों का कहना था कि दिनेश एक मिलनसार व्यक्ति था, छुट्टी में घर आने के बाद सबसे मिलने भी आता था, गांव-घर के कामकाज में सबका हाथ बंटाता था। बता दें कि उसने एक से पांच तक की पढ़ाई प्राथमिक स्कूल ध्याड़ और इंटरमीडिएट की परीक्षा राइंका भेटाबडोली से उप्तीर्ण की थी। जिसके बाद वह करीब पांच साल पहले सेना में भर्ती हुआ था और वर्तमान में 21 राष्ट्रीय राइफल्स 17 गार्डस में तैनात था।