uttarakhand: लाॅकडाउन से देश-विदेश के गरीबों का हुआ बुरा हाल, बेबश होकर पैदल ही कर रहे घर वापसी..
कोरोना वायरस को रोकने के लिए इन दिनों सारा देश लाॅकडाउन है, जिसकी घोषणा बीते मंगलवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, हालांकि इससे पहले ही देश के कई राज्य सरकारों ने अपने-2 राज्य में लाॅकडाउन को लागू भी कर दिया था। पूरे देश में लाॅकडाउन लागू होने के बाद जहां सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है वहीं देश के विभिन्न हिस्सों से कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही है जो आपकी आंखों में आंसू ला देंगी। इन तस्वीरों के बारे में विस्तार कर जानकर तो कोई पत्थर दिल भी पिघल जाएगा। ये तस्वीरें देश-विदेश के विभिन्न बेबस मजदूरों की है जो लाॅकडाउन से परेशान होकर पैदल ही अपने गृहराज्य को निकल पड़े हैं। इन गरीब मजदूरों की यह यात्रा कोई 5-10 किमी की नहीं है बल्कि इनमें से बहुत से मजदूर ऐसे हैं जिनकी कार्यक्षेत्र से घर की दूरी 250-300 किमी है। आप सोच रहे होंगे कि ये मजदूर पागल है परन्तु सच्चाई यह है कि देश के सुनहरे भविष्य के निर्माण में अपना सब कुछ झोंक देने वाले इन मजदूरों का घर उनकी दैनिक मजदूरी से चलता है। जब लाॅकडाउन के कारण न घर का कोई ठिकाना रहा और ना ही खाने पीने का तो देश-विदेश के इन बेबश लोगों ने पैदल ही घर की राह पकड़ ली। ऐसा ही एक हृदयविदारक दृश्य राज्य में भी देखने को मिला जिसमें दिल्ली से एक महिला अपने मासूम बच्चे को गोद में लेकर उत्तराखण्ड पैदल ही पहुंच गई।
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तीन माह के बच्चे को गोद में लेकर बुलंद होसलों से चल पड़ी देश की राजधानी से:- प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली में काम करने वाले एक महिला सहित आठ नेपाली लोग बीते गुरुवार को पैदल ही उत्तराखंड से लगे रामपुर बॉर्डर पहुंच गए। दिल्ली से पैदल चलें इन नेपाली लोगों के दल में शामिल महिला के पास तीन महीने का बच्चा भी था। बताया गया है कि ये सभी लोग बीते 22 मार्च को दिल्ली से पैदल चलें थे। इनके जोश, जज्बे और विवशता को समझते हुए पहले रास्ते में कई जगह मिले लोगों ने मानवता का फर्ज निभाते हुए इन्हें खाना दिया और फिर गुरुवार को रामपुर बार्डर पर तैनात पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ इनकी मजबूरी समझकर इन्हें भोजन कराया बल्कि सभी के स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था कर उन्हें बस से बनबसा भी भिजवाया। जिसके बाद वह रूद्रपुर से होते हुए बनबसा पहुंचे। दिल्ली से उत्तराखण्ड के इस कठिन सफर में पुलिस और लोगों द्वारा मिली सहायता को देखकर ये सभी भाव विभोर होकश्र इन सभी का धन्यवाद देते नहीं थक रहे हैं। जहां एक ओर यह दृश्य हमारे सामने है वहीं दूसरी ओर पूर्वी चंपारण बिहार के 30 मजदूरों के फसे होने की सूचना भी हमें मिली है। वैसे राज्य के अंदर भी ऐसी कई तस्वीरें हमारे सामने आई है जिनमें लोग पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े हैं। जहां दो युवक नैनीताल से पैदल चलकर ही अल्मोड़ा पहुंच गए वहीं ऋषिकेश से दो युवक पैदल ही नारायणबगड़ पहुंच गए।
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