Martyr Basudev Paroda CHAMOLI: पूरे सैन्य सम्मान के साथ हुआ शहीद बसुदेव का अंतिम संस्कार, सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से दी भावभीनी विदाई….
Martyr Basudev Paroda chamoli: जम्मू-कश्मीर के लेह लद्दाख क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद बसुदेव सिंह परोडा पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। बता दें कि ठीक रक्षाबंधन के दिन आज सोमवार सुबह जैसे ही उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा तिरंगे में लिपटे बसुदेव को देखते ही उनके परिजन बिलख पड़े। इस करूण दृश्य को देख वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गई। शहीद के दोनों मासूम बच्चों को देख शोकाकुल परिजनों को सांत्वना देने गए आस-पड़ोस के ग्रामीण भी अपनी सुध-बुध खो बैठे और उनकी आंखों से भी अश्रुओं की अविरल धारा बहने लगी। परिजनों के अंतिम दर्शनों के बाद शहीद का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक घाट मोटूगाड में किया गया। जहां उनके बड़े भाई ने शहीद को मुखाग्नि दी। इस दौरान जहां ओर्डीनरी कैप्टेन अवतार सिंह और 6 ग्रिनेडियर के तीन अधिकारी व 15 सैनिकों की टुकड़ी ने बलिदानी को सशस्त्र सलामी दी वहीं शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल हुए सैकड़ों लोगों ने मां भारती के इस वीर सपूत को गमगीन माहौल में मां भारती के इस वीर सपूत को भावभीनी विदाई दी। इस दौरान पूरा क्षेत्र भारत माता की जय’, ‘शहीद जवान बसुदेव सिंह अमर रहे’ और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, बसुदेव तेरा नाम रहेगा’ के नारों से गूंजायमान हो उठा।
Martyr havildar Basudev Paroda gairsain बता दें आज सोमवार को देशभर मे रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर चमोली जिले के गैरसैंण तहसील क्षेत्र के सारकोट गांव के रहने वाले शहीद हवलदार बसुदेव सिंह पुत्र फतेह सिंह का पार्थिव शरीर आज सुबह उनके पैतृक गांव पहुंचा जिसके चलते परिजन ताबूत से लिपट कर बिलख पड़े। इस दौरान बड़ी संख्या में पहुंचे गांव के लोगों ने बसुदेव जिंदाबाद भारत माता की जय के नारे लगाए। बताया जा रहा है कि करीब 13 साल पूर्व बसुदेव सेना में भर्ती हुए थे। जो वर्तमान में लेह में सेवारत थे। 16 अगस्त को बसुदेव के पिता पूर्व सैनिक हवलदार फते सिंह को शाम 6 बजे यूनिट से बसुदेव की निर्माण कार्य के दौरान हुए ब्लास्ट में शहीद होने की खबर मिली थी। खबर के बाद से उनकी पत्नी नेहा तथा माता महेश्वरी देवी का रो-रो कर बुरा हाल है। शहीद बसुदेव की माता करीब 2 सालों से बीमारी के कारण बिस्तर पर लेटी जीवन झेल रही है। शहीद बसुदेव अपने पीछे 6 तथा 2 साल के दो बेटों समेत भरें पूरे परिवार को रोता बिलखता छोड़ गए हैं।