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Chayanika Sah bisht Ranikhet

अल्मोड़ा

उत्तराखण्ड

बधाई: रानीखेत की चयनिका शाह बिष्ट को मिला उत्तराखंड गौरव रत्न सम्मान…

Chayanika Sah bisht Ranikhet: चयनिका शाह बिष्ट को महिला उद्यमिता एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए मिला उत्तराखंड गौरव रत्न सम्मान…..

Chayanika Sah bisht Ranikhet: गौरतलब हो कि उत्तराखंड मे लोगों को उनके उत्कृष्ट कार्यो को करने के लिए उत्तराखंड गौरव रत्न सम्मान से नवाजा जाता है जो एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। इस सम्मान के माध्यम से उन व्यक्तियों को पहचान और प्रशंसा मिलती है जिन्होंने समाज ,संस्कृति ,खेल ,शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में विशेष उपलब्धियां हासिल की है। इसी कड़ी में आज हम आपको एक और ऐसी ही महिला से रूबरू करवाने वाले हैं जिन्हें उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उत्तराखंड गौरव रत्न सम्मान से नवाजा गया है। जी हां… हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले के रानीखेत की रहने वाली चयनिका बिष्ट की जिन्हें महिला उद्यमिता एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड गौरव रत्न से सम्मानित किया गया है।
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Chayanika bisht Uttarakhand Gaurav award
बता दें रानीखेत की चयनिका शाह बिष्ट पिछले 20 वर्षों से हिलक्राफ्ट संस्था के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं। जिसके चलते चयनिका को महिला उद्यमिता एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देने के प्रति किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने गौरव रत्न से सम्मानित किया है। दरअसल हिल क्राफ्ट की संचालिका चयनिका आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को क्राफ्ट वर्क के जरिए उनके जीवन स्तर को सुदृढ़ बना रही हैं जो यकीनन सराहनीय कार्य है । उनकी इस विशेष उपलब्धि पर सभी को उन पर गर्व है । वहीं चयनिका इस सम्मान को पाकर बेहद प्रसन्न है।

बताते चले चयनिका ने पंतनगर के जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी से एमएससी माइक्रोबायोलॉजी में डिग्री हासिल की जिसके पश्चात उनको आसानी से नौकरी भी मिल गई मगर अपने 12 साल के सफल करियर के बाद अचानक से चयनिका को मन ही मन यह बात खटकने लगी की रानीखेत में नौकरी के अवसर कम है जिसके कारण अधिकतर परिवारों को गरीबी से जूझना पड़ता है यहां पर अधिकतर महिलाओं की आर्थिक स्थिति खराब है। इसके बाद उन्होंने यह निर्णय लिया कि महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए क्यों ना एक प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए जिससे वे खुद के पैरों पर खड़ी हो सके। इसके बाद वर्ष 2003 मे उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और एक वर्ष यह सोचने में लगा दिया कि ऐसा क्या करूं जिसमें इन्वेस्टमेंट हो और महिलाओं के लिए काम को सीखना और करना आसान हो सके। फिर उनकी एक दोस्त ने उन्हें हैंडमेड क्राफ्ट बनाने की सलाह दी जिसके बाद उन्होंने इंटरनेट से हैंडमेड कार्ड बनाने का तरीका सिखा और कुछ कार्ड तैयार किए तथा जिनका आर्डर पहले उनकी ही एक दोस्त ने दिलवाया। इसके बाद उन्होंने ने धीरे धीरे अपने इस कार्य को आगे बढ़ाया और आज करीब 50 से अधिक महिलाओं को वो स्वरोजगार की राह के लिए अग्रसर कर रहे हैं। इसके अलावा चयनिका ने पिरुल के पत्तों से सजावटी सामान बनाने की भी शुरुआत की जिसका आइडिया उन्हें एक महिला के घर में पीरुल के पत्तो से लगी आग के बाद आया जो उनके लिए एक रोजगार का जरिया बन गया। वर्तमान में उनके द्वारा बनाए गए पोस्टर और सजावटी सामान विदेश तक पहुंच रहे हैं।

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