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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड पुलिस के कांस्टेबल अनिल ने वृद्ध महिला के असहाय परिवार को गोद लेकर पेश की मिशाल

haridwar: अनिल का कहना है मैंने वहीं किया जो मेरे दिल ने कहा..

उत्तराखण्ड पुलिस के जवान इन दिनों जरूरतमंदों की मदद कर न सिर्फ मानवता की मिशाल पेश कर रहे हैं अपितु गरीब और असहाय लोगों के दुख-दर्द को बांटने का काम भी कर रहे हैं। आज हम आपको उत्तराखण्ड पुलिस के एक ऐसे ही जवान के बारे में बता रहे हैं जिसने एक बुजुर्ग महिला के असहाय परिवार को गोद लेकर मानवता का धर्म निभाया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के हरिद्वार (haridwar) जिले में तैनात कांस्टेबल अनिल कुमार की, जिन्होंने एक वृद्ध असहाय महिला के परिवार का सारा खर्चा खुद ही उठाने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं अनिल ने महिला को उसके अपंग बेटे के इलाज भी खुद ही करवाने का पूरा भरोसा दिया है। बताया गया है कि गस्त के दौरान लाॅकडाउन का उल्लघंन करने का कारण पूछने पर महिला ने जब अपनी दर्दभरी आपबीती सुनाई तो अनिल की आंखों में आसूं आ ग‌ए और उन्होंने न सिर्फ उस वृद्ध महिला के‌ परिवार को गोद लेने का फैसला लिया अपितु उसी समय राशन आदि की व्यवस्था कर महिला के घर भी पहुंचाया। अनिल का कहना था कि मेरे कारण किसी दूसरे के चेहरे पर मुस्कान आना मेरी नौकरी की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है।


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haridwar: महिला की दुखद आपबीती सुनकर पसीजा अनिल का दिल मानवता के नाते लिया यह फैसला-

प्राप्त जानकारी के उत्तराखंड पुलिस के कांस्टेबल अनिल कुमार की पोस्टिंग इन दिनों हरिद्वार (haridwar) जिले के सुल्तानपुर चौकी में है। बीते दिनों जब अनिल क्षेत्र में गश्त कर रहे थे तो उन्हेें एक बुजुर्ग महिला सड़क किनारे पकोड़े बेचते हुए दिखाई दी, जिसे देखकर वह रूक ग‌ए। पुलिस की वर्दी देखकर महिला अपना सारा सामान वहीं छोड़कर भागने लगी। जिस पर अनिल ने महिला को बुलाकर उससे पूछताछ की। पूछताछ के दौरान महिला ने बताया कि उसके परिवार में कोई भी कमाने वाला पुरुष नहीं है, पति का देहांत हो चुका हैं और बेटा एक दुर्घटना में अपंग हो गया। अपंग बेटे के इलाज में काफी पैसा खर्च होता है। इसलिए वह ऐसे ही पकोड़े बेचकर रोजाना कमाए ग‌ए पचास-साठ रुपयों से न सिर्फ दोनों का पेट पालती है बल्कि बेटे के इलाज में होने वाले खर्च का भी प्रबंध करती है। लाॅकडाउन के कारण दुकान बंद होने से दोनों मां बेटे क‌ई दिनों से भूखे हैं। वह अपने भूखे बेटे के खातिर लाॅकडाउन में भी दुकान खोलने को मजबूर हैं। महिला की दुखद आपबीती सुनकर अनिल का मन पसीज गया और अनिल ने कारवाई करने के बजाय मानवता के नाते महिला के परिवार को गोद लेने का अभूतपूर्व फैसला किया।


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