Dev bahadur: पिता के चेहरे पर साफ झलक रहा है बेटे को खोने का दुःख, बोले बेटे की शहादत पर गर्व..
सीमा पर अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले मां भारती के वीर सपूत देव बहादुर (Dev bahadur) के शहीद होने की खबर से उनके गृहक्षेत्र समेत पूरे प्रदेश में शोक की लहर हैं। शहीद देव के घर पर सांत्वना देने वालों का तांता लगा हुआ है। इस दुःख की घड़ी में जहां परिजनों की आंखों से आंसू नहीं थम रहे हैं वहीं उनको ढांढस बंधाने आए ग्रामीण भी खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं। मात्र 24 वर्ष में देव बहादुर के शहीद हो जाने की खबर सुनकर कोई भी खुद को संभाल नहीं पा रहा है। परिवार में शहीद देव के पिता शेर बहादुर ही एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने दुःख को छुपाकर परिजनों को सांत्वना देने का प्रयास कर रहे हैं। भले ही इस दुःख की घडी में वह शांत खड़े हो लेकिन उनके चेहरे पर जवान बेटे को खोने का ग़म साफ झलकता है। मीडिया से बातचीत में वह खुद कहते हैं कि बेटे को खोने का ग़म तो है लेकिन उसकी शहादत पर उससे भी ज्यादा गर्व है। उसने मेरे कंधे गर्व से ऊंचे कर दिए हैं। इतना ही नहीं वह यह भी कहते हैं कि दुश्मन की गोली भी उनके इरादों को नहीं तोड़ सकती परंतु उनके संकल्प को नहीं। वह अभी भी अपने छोटे बेटे को सेना में भेजेंगे और यह कहते-कहते उनका सीना गर्व से तन गया और आंखों से अश्रु बहने लगे।
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परिजनों ने शुक्रवार को आखिरी बात की थी देव से बात, शहीद देव गांव के युवाओं को देते थे सेना में भर्ती होने की प्रेरणा:- गौरतलब है कि राज्य के उधमसिंह नगर जिले के किच्छा तहसील के गौरीकलां निवासी देव बहादुर थापा (Dev bahadur) बीते शनिवार को जम्मू-कश्मीर के लद्दाख में ड्यूटी में शहीद हो गए। शहीद देव 2016 में सेना में भर्ती हुए थे और महज 24 साल के थे। गोरखा रेजीमेंट में तैनात देव की शहादत की खबर से ही परिजनों में कोहराम मच गया। बताया गया है परिजनों की देव से अंतिम बार बात बीते शुक्रवार को देव बहादुर के पेट्रोलिंग पर जाने से ठीक पहले हुई थी। इस दौरान उन्होंने पेट्रोलिंग से वापस आने की बात की थी लेकिन इसके बाद सीधे उनकी शहादत की खबर आई। परिजनों के मुताबिक सेना में भर्ती होने के बाद देव जब भी छुटि्टयों पर घर आते तो गांव के युवाओं को सेना में भर्ती होने की ही प्रेरणा देते थे। वह गांव में युवाओं के काफी चहेते थे। उन्हीं की प्रेरणा से जहां उनका चचेरा भाई सेना में तैनात हैं वहीं उनका छोटा भाई अनुज भी सेना में भर्ती होने को दिन रात एक कर रहा है। बताते चलें कि शहीद के बड़े भाई किशन बहादुर भी सेना में है। वर्तमान में उनकी तैनाती ग्वालियर में है।
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