uttarakhand:वाहन सवारो एवं घरों में रह रहे लोगों ने समय रहते भागकर बचाई अपनी जान, अन्यथा गम्भीर होते परिणाम…
देवभूमि उत्तराखंड(uttarakhand) के पर्वतीय क्षेत्रों में हमेशा ही प्राकृतिक आपदाओं का भय बना रहता है। कभी भूस्खलन तो कभी भूकंप के कारण नुकसान होता रहता है। आज फिर राज्य(uttarakhand) के चमोली जिले से भूस्खलन की भयावह तस्वीरें सामने आ रही है। जी हां.. चमोली जिले के बद्रीनाथ हाइवे में बीते गुरुवार शाम हुए भारी भूस्खलन से पांच घर जमींदोज हो गए और दो वाहन मलबे में दब गए। वाहन सवारो एवं घरों में रह रहे लोगों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। बताया गया है कि भूस्खलन से हाइवे की 50 मीटर सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है जिससे अगले दो दिनों हाइवे के तक बंद रहने की संभावना को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने चमोली व कर्णप्रयाग से रूट पोखरी के लिए डाइवर्ट कर दिया है। बता दें कि इन दिनों ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर चारधाम परियोजना के तहत सड़क चौड़ीकरण का कार्य प्रगति पर है। जिससे यहां पर एक नया भूस्खलन जोन उभरकर सामने आया है, जिससे हाईवे बार बार बाधित हो रहा है और जान-माल का खतरा बना हुआ है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: चार साल पहले तक भीख मांगती थी चांदनी, अब मुख्य अतिथि बन बयां की अपनी दास्तां
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के चमोली जिले के बद्रीनाथ हाइवे पर हाईवे चौड़ीकरण कार्य के दौरान बीते गुरुवार शाम के करीब पांच बजे अचानक एक बड़ी चट्टान खिसक जाने से भूस्खलन हो गया। भूस्खलन का मलवा हाईवे को तबाह करते हुए नंदप्रयाग देबखाल मोटर मार्ग तक आ गया जिससे वहां पर पूरी 50 मीटर सड़क गायब हो गई। इस भूस्खलन से भूस्खलन से झूलाबगड़ में स्थित पांच आवासीय भवनों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें मनोज कुमार पुत्र प्रेमप्रकाश और राजेंद्र कुमार पुत्र प्रेम प्रकाश के मकान पूरी तरह मलबे में दबकर जमींदोज हो गए हैं तथा बिजेंद्र पुत्र नंदकिशोर, संदीप पेंटर एवं ओमप्रकाश के मकानों को आंशिक क्षति पहुंची है। बताया गया है कि इन मकानों में 30-35 लोग रहते थे, जिन्हें प्रशासन द्वारा सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है। हाइवे पर रामनगर से सीमेंट लेकर आ रहा एक ट्रक एवं एक मारुति कार भी बड़े-बड़े बोल्डरों के नीचे दब गई। भगवान का शुक्र है कि घरों में रहने वाले लोगों एवं सभी वाहन सवारों ने वक्त रहते घटनास्थल से दूर भागकर अपनी जान बचा ली अन्यथा एक बड़ा हादसा हो सकता था, जिसमें जनहानि की पूरी संभावना बनी रहती।
यह भी पढ़ें- दो नक्सलियों को ढेर करने वाले उत्तराखण्ड के लाल गणेश को मिला राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार