भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में तैनात राज्य (uttarakhand) के वीर जवान की इलाज के दौरान मौत की दुखद खबर राज्य (uttarakhand) के चम्पावत जिले से आ रही है। बताया गया है कि जवान बीते 10-15 दिन से बीमार थे और बरेली के एक अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। बीते कुछ समय से जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ रहे जवान ने मौत से हार मान ली और अस्पताल में उपचार के दौरान ही अपना दम तोड दिया। जवान के मौत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। जैसे ही जवान का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो परिजनाें के दुःख का गुबार आंसूओं के रूप में बाहर आ गया। आस-पास के ग्रामीणों ने परिजनों को सांत्वना देने की एक झूठी कोशिश की परंतु इस असहनीय दुःख की घडी में पड़ोसी ग्रामीण भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। परिवार के अंतिम दर्शन के रविवार शाम को रामेश्वर घाट पर मृतक जवान का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान क्षेत्र के विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, आईटीबीपी के डॉ. मोहित वर्मा सहित कई अन्य लोगों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। बताया गया है कि मृतक जवान अपने पीछे दो बेटी, एक बेटा, पत्नी और मां को छोड़ गए है।
यह भी पढ़ें:- उत्तराखण्ड: भीमताल झील में समा गई थी कार, रेस्क्यू ऑपरेशन कर कार और शव निकाले बाहर
आईटीबीपी की 36वीं वाहिनी में निरीक्षक के पद पर तैनात था मृतक जवान:- प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य (uttarakhand) के चम्पावत जिले के बाराकोट विकासखंड के काकड निवासी हयात सिंह ढेक पुत्र स्व. प्रताप सिंह, छमनियां चौड़ स्थित 36वीं वाहिनी आईटीबीपी में निरीक्षक के पद पर तैनात थे। बताया गया है कि बीते आठ फरवरी को उनके पेट में अचानक दर्द उठा जिस पर उनके साथी जवानों ने उन्हें आननफानन में जिला अस्पताल चंपावत में भर्ती कराया जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बरेली रेफर कर दिया गया था। जहां उनका इलाज चल रहा था और वह जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ रहे थे। बीते शुक्रवार देर रात को अचानक अस्पताल में इलाज के दौरान ही उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई और उन्होंने दम तोड दिया। जैसे ही जवान के मौत की दुखद खबर उनके परिजनों को मिली तो परिवार में कोहराम मच गया। जवान के पार्थिव शरीर जैसे ही उनके घर पहुंचा तो जहां उनकी पत्नी मोती देवी रोते बिलखते बेसुध हो गई वही जवान की बड़ी बेटी रेनू व छोटी बेटी किरन का भी रो रो बुरा हाल हो गया। मृतक जवान की मां के आंखों से भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रविवार शाम को जवान का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ रामेश्वर घाट पर किया गया जहां उनके पुत्र राजेश ने चिता को मुखाग्नि दी।
यह भी पढ़ें:- उत्तराखंड: दस आतंकियों का खात्मा करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल रावत को मिला बहादुरी का सेना मेडल