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Image : social media ( Uttarakhand Jojoda marriage Uttarkashi)

UTTARAKASHI

उत्तराखण्ड की अनोखी जोजोड़ा शादी दुल्हे मनोज चौहान के घर बरात लेकर पहुंची दुल्हन कविता

Uttarakhand Jojoda marriage Uttarkashi  : दूल्हे के घर बारात लेकर पहुँची दुल्हन, ढोल नगाड़ों के साथ हुआ बारात का स्वागत, उत्तराखंड की अनोखी ‘जोजोड़ा’ शादी...

Jojoda wedding Bride Kavita groom Manoj Chauhan Jaunsar Arakot Mori Uttarkashi unique marriage uttarakhand news today  : उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक धरोहर और पौराणिक परंपराओं के लिए विश्वभर में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इतना ही नहीं बल्कि यहां की संस्कृति और रीति रिवाज अन्य राज्यों के लोगों को अपनी ओर बेहद आकर्षित करते हैं। ऐसी ही कुछ अनोखी परंपरा देखने को मिलती है जौनसार बावर के क्षेत्र में जहां पर शादी के दौरान दुल्हन दूल्हे के घर पर बारात लेकर जाती है। हालांकि बंगाण क्षेत्र मे करीब पांच दशक पहले विलुप्त हो चुकी इस परंपरा को एक बार फिर से दुल्हन ने दूल्हे के घर पर बारात ले जाकर जीवंत कर दिया है ,जिसकी चर्चा हर जगह हो रही है।

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Uttarkashi manoj Chauhan kavita wedding Jojoda marriage arakot: अभी तक मिली जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील के आराकोट के कलीच गांव मे बीते रविवार की रात पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के पुत्र मनोज की शादी बड़ी धूमधाम से हुई। मनोज के विवाह की खासियत यह रही कि ग्राम जाकटा के जनक सिंह की पुत्री कविता ढोल नगाड़े और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ बाराती बनकर मनोज के घर कलीच पहुंची थी। जहां पर दूल्हा पक्ष की ओर से पारंपरिक रीति रिवाज के साथ बारात का भव्य स्वागत किया गया।

पांच दशक पहले लुप्त हुई परंपरा फिर हुई उजागर (A tradition that disappeared five decades ago has been revived.) 

इतना ही नहीं बल्कि इस शादी के आयोजन के गवाह स्थानीय ग्रामीण ही नहीं बल्कि बाहर से आए लोग भी बने। बताते चले जौनसार बाबर क्षेत्र में इस तरह की शादियां होना आम बात है लेकिन बंगाण क्षेत्र मे पांच दशक पहले यह परंपरा लुप्त हो चुकी है ,जिसे एक बार फिर से कविता ने दूल्हे के घर बारात ले जाकर जीवित कर दिया है। हालांकि बाराती आज सोमवार को वापस लौट जाएंगे, जबकि दुल्हन कविता अपने ससुराल में ही रहेगी।

दहेज का लेनदेन नही (No dowry transaction) 

बताते चले इस शादी में दोनों पक्षों की ओर से दहेज या कोई अन्य मांग नहीं की गई। लड़के के पिता कल्याण सिंह खेती किसानी और वैचारिक सामाजिक प्रगति के क्षेत्र के लिए जाने जाते हैं इसलिए उन्होंने विस्मृत हो चुकी पारंपरिक विरासत के लिए अपने बेटे की शादी में द्वार खोल दिए हैं। कल्याण सिंह का मानना है कि हमें अपनी संस्कृति को बचाना है तो पुराने रीति रिवाज को जिंदा रखना बेहद जरूरी है।

जोजोड़ा विवाह (Jojoda Marriage) 

दुल्हन अपनी बारात लेकर दूल्हे के घर पर जब जाती है तो उसे जोजोड़ा विवाह कहा जाता है। जिसका अर्थ है जो जोड़ा भगवान खुद बनाते हैं। वही इस विवाह में आए बारातियों को जोजोडिये कहा जाता है। यह परंपरा इस उद्देश्य से शुरू हुई थी की बेटी के पिता पर आर्थिक बोझ ना पड़े। बदलते वक्त के साथ विलुप्त हो गई परंपरा को इस नई पीढ़ी ने फिर से जीवित करने का बेड़ा उठाया है।

1970 के बाद होने लगी परंपरा विलुप्त (The tradition began to disappear after 1970.) 

जौनसार बावर पर रवाई से उत्तराखंड किताब लिखने वाले इतिहासकार प्रयाग जोशी का मानना है ,कि दुल्हन के बारात लाने की परंपरा बीते कई दशकों से धीरे-धीरे लुप्त हो रही है। जिसके पीछे मुख्य कारण है 1970 में आरक्षण के दायरे में आने के बाद आर्थिक हालात बदलना और परंपरा का प्रभावित होना।

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