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Kanishk suyal Haldwani military college dehradun

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उत्तराखण्ड: हल्द्वानी के कनिष्क का राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कालेज में चयन, आप भी दें बधाई

Kanishk Haldwani military college: कनिष्क ने कड़ी मेहनत से हासिल किया मुकाम, माता पिता एवं परिजनों के साथ ही स्कूल प्रबंधन को दिया सफलता का श्रेय….

Kanishk Haldwani military college
राज्य के होनहार युवा वाशिंदे आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। इतना ही नहीं यहां के नौनिहालों ने भी सफलता के ऊंचे ऊंचे मुकाम हासिल कर न केवल अपने परिजनों का मान बढ़ाया है बल्कि अनेकों बार समूचे प्रदेश को भी गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही होनहार बेटे से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसका चयन देश के प्रतिष्ठित संस्थान राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) देहरादून में हो गया है ‌ जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के हल्द्वानी तहसील क्षेत्र के रहने वाले तथा वर्तमान में शैमफोर्ड स्कूल हल्द्वानी के छात्र कनिष्क सुयाल की, जिन्होंने इस परीक्षा के परिणामों में उत्तराखंड राज्य की एकमात्र सीट के लिए अपना स्थान पक्का किया है। आपको बता दें कि आरआईएमसी की परीक्षा में जहां देशभर से 25 सीटों में 24 छात्रों का चयन हुआ है वहीं उनमें से उत्तराखंड की एकमात्र सीट के लिए पूरे प्रदेश से कनिष्क का चयन होना उनके परिजनों के साथ ही विद्यालय के लिए भी गौरव का विषय है। यह बात शेमफोर्ड स्कूल के चेयरमैन दयासागर बिष्ट ने कही है।
(Kanishk Haldwani military college)
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आपको बता दें कि कनिष्क सुयाल, ग्रामीण परिपेक्ष के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता है। उसकी मां रत्ना सुयाल जहां ग्राम बैड़ापोखरा की उप ग्राम प्रधान है वहीं उसके पिता प्रदीप सुयाल एक सफल व्यवसायी हैं। कनिष्क के बड़े भाई भी यूपीईएस देहरादून से बीटेक कर रहे हैं। बताते चलें कि कनिष्क ने अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी और परिजनों के साथ ही विद्यालय प्रबंधक दयासागर बिष्ट को दिया है। बचपन से पढ़ाई में अव्वल दर्जे के छात्र रहे कनिष्क ने इस संबंध में बताया कि विद्यालय प्रबंधक दयासागर बिष्ट द्वारा सभी बच्चों को अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु प्रेरित किया जाता है। वे मुझे भी अक्सर व्यक्तिगत रूप से बुलाकर पूर्व के प्रश्न पत्रों को हल करने के लिए और उन प्रश्न पत्रों को नियमित समय के अंतराल में हल करने के लिए प्रेरित किया करते थे और अनुशासित रहने की सलाह देते थे। यह अभूतपूर्व उपलब्धि उसने स्कूल के चैयरमेन के मार्गदर्शन से ही हासिल की है।
(Kanishk Haldwani military college)

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