Leela Chauhan uttarakhand: कृषि अभियांत्रिकी हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी सब्जेक्ट मैटर स्पेशिलिस्ट के पद पर हुआ लीला चौहान का चयन, विपरीत परिस्थितियों से जूझ कर कड़ी मेहनत से हासिल किया मुकाम…
Leela Chauhan Uttarakhand: अपनी काबिलियत के दम पर समूचे उत्तराखण्ड को अनेकों बार गौरवान्वित महसूस कराने वाली राज्य की होनहार बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। आए दिन सुनाई देने वाली इनकी सफलता की कहानियां न केवल हमारे दिल को सूकून देती है बल्कि राज्य के अन्य युवाओं को भी प्रेरित करती है। इसी कड़ी में आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही होनहार बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जो नई तकनीक के प्रयोग से कृषि के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर देश को अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने जा रही है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के जौनसार बावर क्षेत्र की रहने वाली लीला चौहान की, जिनका चयन कृषि अभियांत्रिकी हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी सब्जेक्ट मैटर स्पेशिलिस्ट के पद पर हो गया है। लीला की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं समूचे क्षेत्र में भी खुशी की लहर है।
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Leela Chauhan jaunsar Dehradun: प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के जौनसार बावर के चामा गांव निवासी लीला चौहान का चयन समस्तीपुर स्थित राजेंद्र कृषि केंद्रीय विश्व विद्यालय में कृषि अभियांत्रिकी हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी सब्जेक्ट मैटर स्पेशिलिस्ट के पद पर हुआ है। बता दें कि अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से प्राप्त करने वाली लीला ने इंटरमीडिएट की परीक्षा नवोदय विद्यालय से उत्तीर्ण की है। तत्पश्चात उन्होंने पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में ग्रेज्युएट की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से एमटेक और फिर पीएचडी की मानक उपाधि प्राप्त की। सबसे खास बात तो यह है एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली लीला ने जहां बीटेक की पढ़ाई बैंक से लोन लेकर पूरी की वहीं एमटेक की पढ़ाई स्कालरशिप से तथा पीएचडी की डिग्री नेशनल फैलोशिप फॉर हायर एजुकेशन के माध्यम से हासिल की। इस दौरान उन्हें उत्तराखंड काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से यंग साइंटिस्ट के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
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