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Uttarakhand news: Lila devi of Bageshwar district died due to fell from a tree.

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उत्तराखंड: पहाड़ में पशुओं के लिए चारा लेने जंगल गई महिला की पेड़ से गिर कर मौत

Uttarakhand: बागेश्वर (Bageshwar) जिले के बोहाला गांव में हुआ हादसा, पशुओं के लिए चारा लेने जंगल गई थी महिला, मौत की खबर से महिला के दोनों बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल..

राज्य (Uttarakhand) के पहाड़ी ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग पहाड़ जैसा संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी यहां की महिलाओं को उठानी पड़ती है जो अपनी जान जोखिम में डालकर ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर चढ़कर पशुओं के लिए चारा एकत्रित करती है, क‌ई किलोमीटर दूर से लकड़ियां लाती है। महिलाओं के संघर्षभरी जिन्दगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि क‌ई बार पेड़ से गिरकर या जंगली जानवरों के हमले में उन्हें अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। आज फिर राज्य के बागेश्वर (Bageshwar) जिले से एक ऐसी ही दुखद खबर आ रही है जहां बोहाला में एक महिला की पशुओं के लिए चारा काटते समय पेड़ से गिरकर मौत हो गई। हादसे की खबर से जहां परिजनों में कोहराम मच गया वहीं पूरे क्षेत्र में भी मातम पसरा हुआ है। बताया गया है कि मृतक महिला एक आशा कार्यकर्ता भी थी और उसके दो बच्चे भी हैं। महिला की मौत की खबर से दोनों बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले के काफलीगैर तहसील के बोहाला गांव निवासी लीला देवी पत्नी किशन सिंह रोज की तरह रविवार सुबह साढ़े दस बजे गांव की अन्य महिलाओं के साथ पशुओं के लिए चारा लेने जंगल गई थी। जंगल पहुंचकर वह एक पेड़ पर चढ़ गई और पशुओं के लिए चारा काटने लगी।‌ इसी दौरान लीला का पांव फिसल गया और वह एकाएक असंतुलित होकर पेड़ से नीचे गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई। लीला के साथ जंगल गई अन्य महिलाओं द्वारा घटना की सूचना मिलने पर परिजनों ने ग्रामीणों की सहायता से उसे जिला अस्पताल पहुंचाया जहां चिकित्सकों ने लीला को मृत घोषित कर दिया। लीला की अकस्मात मौत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया।‌ बताया गया है कि मृतका का पति श्रीनगर में प्राइवेट नौकरी करते हैं। हादसे की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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