ड्रिस्ट्रिक्ट एडहक वायरलेस सर्विलांस सिस्टम यूजिंग ड्रोन टेक्नोलॉजी के सफर क्रियान्वयन के लिए ई-गवर्नेंस अवार्ड से किया गया सम्मानित…
अपने काम करने के अनूठे अंदाज के लिए हमेशा चर्चाओं में रहने वाले उत्तराखण्ड(uttarakhand) के रूद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। राज्य में शायद ही कोई होगा जिसने डीएम साहब की कार्यशैली की प्रशंसा ना की हों। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल एक बार फिर से अपने अद्भुत कार्यों से देश में भी एक सर्वोच्च स्थान बना चुके हैं। काम का इनाम तो हर किसी को मिलता है। ऐसा ही इनाम मंगेश घिल्डियाल को केन्द्र सरकार की ओर से मिला है। जिसने न सिर्फ देशभर में भी मंगेश घिल्डियाल की एक सुंदर छवि बनाई है बल्कि देवभूमि उत्तराखंड(uttarakhand) को भी एक गौरवशाली पल प्रदान किया है। जी हां.. जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को पूरी टीम के साथ राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल ई-गवर्नेंस अवार्ड के तहत शनिवार को मुंबई में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद ने सम्मानित किया। बता दें कि प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग भारत सरकार द्वारा ई-गवर्नेंस अवॉर्ड प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार देश के सभी 654 जिलों में ई-गवर्नेंस पर सबसे बेहतर कार्य करने वाले को दिया जाता है। इस वर्ष इसके लिए उत्तराखण्ड(uttarakhand) के रूद्रप्रयाग जिले के डीएम मंगेश घिल्डियाल का चयन किया गया था। जो कि पूरे राज्य के लिए गौरव की बात है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य(uttarakhand) के रुद्रप्रयाग जिले के डीएम मंगेश घिल्डियाल को शनिवार को मुंबई में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद ने सम्मानित किया। बता दें कि डीएम के नेतृत्व में ई-गवर्नेंस के तहत संचालित प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर पर इस बार प्रथम स्थान मिला है। डीएम मंगेश एवं उनकी टीम को शनिवार को मुंबई में आयोजित 23वें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन में केन्द्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्वर्ण पदक और प्रशस्ति पत्र के साथ दो लाख रुपए की धनराशि का चेक ई-गवर्नेंस अवार्ड के रूप में प्रदान किया। बताते चलें कि इसी टेक्नोलॉजी के तहत वर्ष 2018 में केदारनाथ में ड्रोन की मदद से केदारनाथ पुर्ननिर्माण का लाइव प्रसारण दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देखा था। सबसे खास बात तो यह है कि यह टेक्नालॉजी स्थानीय स्तर पर ही विकसित की गई थी। बताते चलें कि इसी टेक्नोलॉजी के द्वारा रुद्रप्रयाग से केदारनाथ तक भी लोकल लाइव कनेक्टिविटी है, जिसके माध्मय से आपदा की स्थिति में भी केदारनाथ व धाम से जुड़े स्थानों का लाइव प्रसारण होता है और किसी भी व्यक्ति को इस पूरे क्षेत्र में ट्रैस किया जा सकता है। किसी भी दुर्घटना में तत्काल राहत कार्य उपलब्ध कराने के साथ ही केदारनाथ की यात्रा को सुचारू रूप से चलाने में इस टेक्नोलॉजी का अहम योगदान है।
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