चम्पावत: पंचतत्व में विलीन हुए राहुल, पूरे सैन्य सम्मान के साथ हुआ जवान का अंतिम संस्कार
पिता और भाई नम आंखों से बोले राहुल की शहादत पर गर्व है:- इस दुखद घड़ी में भी राहुल के पिता वीरेंद्र रैंसवाल का जज्बा देखने लायक था। इस दुख की घड़ी में कोई भी टूट सकता है लेकिन राहुल के पिता बड़े गर्व से कहते हैं कि उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है। भगवान ऐसा बेटा सबको दें। हालांकि इस समय उनके मायूस चेहरे पर बेटे को खोने का दुःख साफ झलक रहा था। शहीद के बड़े भाई भी छोटे भाई की शहादत को याद कर कहते हैं कि देश के लिए मर-मिटने का ऐसा मौका हर किसी को नहीं मिलता, मुझे अपने भाई पर गर्व है कि वह इतनी छोटी उम्र में इतना बड़ा काम कर गया। शहीद राहुल के पिता और भाई इस जज्बे को सलाम करते हुए हम केवल इतना ही कह सकते हैं कि हर कोई फौजी नहीं बन सकता। फौजी बनने को ऐसे ही असाधारण जज्बे की जरूरत होती है। राहुल की शहादत को सलाम करते हुए वह कहते हैं कि अगर देश का हर युवा राहुल जैसा हो तो किसी भी दुश्मन की मजाल नहीं कि वह भारत की ओर आंख उठाकर भी देख सकें। भारतीय सेना से रिटायर्ड वीरेंद्र कहते हैं कि यदि वह राहुल के साथ होते तो बेटे के कंधे से कंधा मिलाकर चार-पांच आतंकियों को मार गिराते। इतना कहते ही उनका गला रूंध गया। राहुल के पार्थिव शरीर को देखकर उनकी पत्नी और मां बेसुध हो गई और तिरंगे में लिपट-लिपटकर रोने लगी।
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