राहुल तेरा ये बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान
जहां उसकी हमउम्र के लड़के जिंदगी के मौज कर रहे हैं वहीं देवभूमि के इस वीर सपूत राहुल रैंसवाल ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। राहुल की शहादत पर हमें एक ओर इस बात पर गर्व होता है कि हमारी मातृभूमि में ऐसे वीर सपूतों ने जन्म लिया है तो दूसरी ओर दुःख भी होता है कि शहीद के परिवार पर इस समय क्या बीत रही होगी? आप और हम उन माता-पिता के दुःख-दर्द की कल्पना भी नहीं कर सकते जिनका जवान बेटा 20-25 वर्ष की उम्र में वीरगति को प्राप्त हो जाएं, ना ही हम उस वीरांगना के दुःख को बयां कर सकते हैं जिसका सुहाग मां बनने के आठ महीने बाद ही उससे छीन जाएं। जी हां.. इन सभी दुखद परिस्थितियों का सामना अभी राहुल का परिवार कर रहा है। बता दें कि 26 वर्षीय राहुल मंगलवार को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ करते समय शहीद हो गया है। इसके साथ ही राहुल के बड़े भाई भी भारतीय सेना में तैनात हैं और पिता भी भारतीय सेना से रिटायर्ड है।
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मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के तल्लादेश के रियासीबमन गांव निवासी राहुल रैंसवाल का परिवार वर्तमान में जीआईसी के पास कनलगाव में रहता है। बता दें कि 2012 में भारतीय सेना की 18 कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए राहुल मंगलवार को सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। बताते चलें कि वर्तमान में वह सेना की 50 राष्ट्रीय राइफल्स में थे उनकी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में थी। जवान के शहीद होने की खबर सुनते ही जहां उनके परिवार में कोहराम मच गया वहीं पूरे क्षेत्र में भी शोक की लहर दौड़ गई। दुखद खबर को सुनकर जहां शहीद की पत्नी प्रीति देवी बेसुध हो गई है वहीं राहुल के पिता वीरेंद्र सिंह रैंसवाल और माता हरू देवी की आंखों से भी आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। आस-पड़ोस में रहने वाले ग्रामीण शहीद राहुल के घर जाकर परिजनों को सांत्वना देने की कोशिश तो कर रहे हैं परंतु घर से बाहर आकर उनकी आंखें भी नम हो जा रही है। शहीद राहुल अपने पीछे एक आठ महीने की छोटी सी बच्ची को भी छोड़ कर गए हैं।