Uttarakhand: पिता नैनीताल में लगाते थे फड़, लाकडाउन की वजह से आर्थिक स्थति हो गई थी खराब, लेकिन बेटा कड़ी मेहनत से बना असिस्टेंट प्रोफ़ेसर (Assistant Professor)
“मंजिल उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है,
पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।”
इन चंद पंक्तियों को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है राज्य (Uttarakhand) के नैनीताल जिले के रहने वाले प्रदीप आर्य ने। जी हां.. एक सामान्य परिवार में जन्मे प्रदीप परिवार की विषम परिस्थितियों के बावजूद अपनी मेहनत और लगन से असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) बन गए हैं। सबसे खास बात तो यह है कि प्रदीप ने यह मुकाम केवल 24 वर्ष की उम्र में हासिल किया है। बता दें कि एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने के कारण प्रदीप ने पढ़ाई के दौरान कई मुश्किल हालातों का सामना किया परंतु अभी भी हार नहीं मानी। उनके पिता फड़ लगाकर परिवार पालते हैं। लाकडाउन के दौरान परिवार के आर्थिक हालत और बिगड़ने लगे। पिता का धंधा ठप होने से उन्हें खाने के भी लाले पड़ने लगे। इस मुश्किल वक्त में उनके परिवार ने जहां प्रशासन और संस्थाओं की ओर से बांटे जा रहे राशन को पाकर अपना भरण-पोषण किया। वही इस मुश्किल घड़ी ने उनके जल्द से जल्द नौकरी पाने के सपने को और भी अधिक मजबूत कर दिया।
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प्रदीप ने केवल 24 वर्ष की उम्र में हासिल किया यह मुकाम, जनवरी में हुए साक्षात्कार के परिणामों में मिली अभूतपूर्व सफलता:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के रतन काटेज मल्लीताल निवासी प्रदीप आर्य असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए हैं। उन्हें उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय में नियुक्ति मिली है। बता दें कि प्रदीप कि 2018 में संगीत से एमए करने के बाद उन्होंने शिक्षक बनने का ख्वाब देखा था। वर्तमान में वर्तमान में कुमाऊं विवि से संगीत में शोध कर रहे प्रदीप के पिता महेश कुमार मल्लीताल क्षेत्र में फड़ लगाते हैं जबकि उनकी मां हेमा एक कुशल गृहिणी हैं। वह खुद यह बात स्वीकार करते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्हें कई बार कालेज की फीस भरने के लिए भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परंतु कई बार इन विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी बल्कि इन मुश्किलों ने उनके आगे बढ़ने के सपने को और अधिक मजबूत किया। इसी का परिणाम है कि जनवरी में हुए साक्षात्कार के परिणामों में उन्हें अभूतपूर्व सफलता मिली है और वह यूओयू में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए हैं। प्रदीप की इस अभूतपूर्व सफलता से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है।
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