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Kedarnath dham yatra new route uttarakhand
सांकेतिक फोटो

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Good news: केदारनाथ धाम के लिए तलाशे जा रहे नए रास्ते, भविष्य में आसान होगी यात्रा

Kedarnath dham new route : श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर, केदारनाथ धाम के लिए खोजे जा रहे नए रास्ते, वैकल्पिक विकल्प की तलाश जारी, अब यात्रा करने में होगी आसानी….

Kedarnath dham new route : उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम की यात्रा के लिए नए वैकल्पिक रास्ते खोजे जा रहे हैं जो एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे श्रद्धालुओं को यात्रा करने में अधिक सुविधा होगी। इसके साथ ही नया रास्ता संभावित रूप से मौजूदा मार्ग की भीड़ को कम करेगा तथा यात्रा को अधिक सुरक्षित आरामदायक बनाएगा। इसके लिए त्रियुगीनारायण से केदारनाथ के लिए निकला चार सदस्यी दल सुरक्षित त्रियुगीनारायण पहुंच गया है जिन्होंने त्रियुगीनारायण- गुमसुड़ा- गरूड़चट्टी-केदारनाथ (लगभग 14 किमी) के नये वैकल्पिक पैदल ट्रैक की खोज की है। जिसको तय करने में लगभग 6 घंटे का समय लगा है। इतना ही नहीं बल्कि यह पैदल मार्ग सबसे कम दूरी का है।
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Kedarnath dham yatra route बता दें 16- 17 जून 2013 में रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ धाम में आई आपदा के बाद वन विभाग ने त्रियुगीनारायण- वासुकीताल- केदारनाथ पैदल ट्रैक को विकसित करने की कवायद शुरू की थी लेकिन यह ट्रैक 20 किलोमीटर दूर व जोखिम भरा है। जिसके चलते गुम सुडा गरुड़ चट्टी के मध्य पैदल ट्रैक पर चट्टान की कटिंग की सख्त जरूरत है। अगर प्रदेश सरकार की पहल से वन विभाग गुमसुडा – गरुड़चट्टी के मध्य चट्टान काटकर नए वैकल्पिक पैदल ट्रैक को विकसित करने का प्रयास करता है तो त्रियुगीनारायण से केदारनाथ पहुंचने के लिए यह पैदल ट्रैक सबसे कम दूरी पर होगा जिससे तोषी गांव में तीर्थाटन एवं पर्यटन गतिविधियों समेत होम स्टे की योजना व स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। दल की मानें तो पैदल ट्रैक पर जगह-जगह नाले हैं जिसमें अधिकांश भूभाग सुरमई मखमली बुग्यालों से आच्छादित है। पैदल ट्रैक को विकसित करने के साथ ही सोन नदी पर पुल का निर्माण भी अति आवश्यक है।
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Kedarnath dham Rudraprayag Uttarakhand बता दें कि 2013 की आपदा के बाद वन विभाग व आपदा प्रबंधन द्वारा सोन नदी पर ट्रॉली का निर्माण किया गया था लेकिन रखरखाव के अभाव के चलते वर्तमान समय में यह ट्रॉली जर्जर हो चुकी है। इतना ही नही बल्कि गरूड़ाचट्टी- केदारनाथ पैदल ट्रैक पर लगभग पांच किमी के भूभाग में जया, विजया, कुखणी, माखुणी, रातों की रानी, गरूणपंजा, वारूण हल्दी सहित अनेक प्रकार के पुष्पों व बेस कीमती जड़ी-बूटियों के पेड़ हैं तथा सोन नदी से गुमसुड़ा तक मात्र सात किमी का सफर चढ़ाई वाला है, शेष पैदल ट्रैक समतल व सीधा है। दरअसल 2013 की आपदा के बाद लगभग 12 हजार तीर्थ यात्री , व्यापारी केदारनाथ गरुड़ चट्टी घिनुरपाणी व रामबाड़ा यात्रा पड़ावों से जंगलों के रास्ते त्रियुगीनारायण व तोषी पहुंचे थे। इस पैदल मार्ग को करोड़ों की लागत से विकसित किया गया था लेकिन पैदल ट्रैक अधिक लंबा व जोखिम भरा रहा जिसके चलते 31 जुलाई 2024 को केदारनाथ के विभिन्न पड़ाव पर दैवीय आपदा के बाद 150 तीर्थ यात्री त्रियुगीनारायण व तोषी गांव पहुंचे थे। ग्रामीणों द्वारा जंगलों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने वालों की यथासंभव मदद की गई थी।

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