Champawat Tea Garden: चाय बागान की खूबसूरती निहारने के साथ ही ईको हट में पर्यटक जल्द ही कर सकेंगे रात्रि विश्राम…
उत्तराखण्ड के ठंडे ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली खूबसूरत चाय की पत्तियां न केवल विदेशों तक अपना स्वाद बिखेर रही है बल्कि यहां के चाय बागान पर्यटकों को अपनी ओर खासा आकर्षित कर रहे हैं। पर्यटकों के इसी आकर्षण का फायदा अब सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए उठाने जा रही है। जी हां… अब चाय बागानों की खूबसूरती को निहारने के लिए सैलानियों को जेब ढीली करनी होगी। राज्य के चम्पावत जिले में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। आपको बता दें कि चम्पावत जिले के कई हिस्सों में चाय के सुंदर बागान हैं, जिनमें 60 हजार किलो से अधिक चाय की पत्तियों का उत्पादन होता है। जिनसे करीब 9 से 10 हजार किलो चाय तैयार की जाती है।
(Champawat Tea Garden)
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बता दें कि चंपावत के इन्हीं चाय बागानों में सिलिंगटाक में स्थित 21 हेक्टेयर चाय बागान का क्षेत्र भी शामिल हैं, जिसके चार हेक्टेयर को चाय विकस बोर्ड द्वारा टी टूरिज्म के रूप में विकसित किया गया है। करीब 1.05 करोड़ रुपये से तैयार इस की टूरिज्म क्षेत्र में पर्यटकों के भ्रमण के साथ ही खूबसूरती के दीदार के लिए विभिन्न स्थानों पर व्यू प्वाइंट बनाए गए हैं। जहां से दूर दूर तक स्थित खूबसूरत दृश्यों को निहारा जा सकता है। बताते चलें कि अभी तक बागान के इस खूबसूरत सौंदर्य को देखने के लिए पर्यटकों को कोई शुल्क नहीं देना होता था। परंतु अब चाय विकास बोर्ड द्वारा यहां आने वाले सैलानियों के लिए प्रवेश शुल्क निर्धारित कर लिया है। बताया गया है कि अब हर सैलानी को 45 मिनट तक बागान में घूमने के लिए 20 रुपये देने होंगे। हालांकि 12 साल से छोटे बच्चों का प्रवेश अभी भी बागान में निशुल्क रहेगा।
(Champawat Tea Garden)
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इसके साथ ही चाय बागान में बनाए गए ईको हट में पर्यटक जल्द ही रात्रि विश्राम भी कर सकेंगे। बता दें कि सिलिंगटाक के इस टी टूरिज्म क्षेत्र में तीन इको हट बनाए गए हैं। साथ ही एक टी कैफे भी संचालित किया जाना है। जिसमें पर्यटक जैविक चाय के अलावा सात्विक भोजन का स्वाद भी ले सकेंगे। इस संबंध में चाय विकास बोर्ड के प्रभारी राकेश कुमार ने बताया कि इको हट एवं टी कैफे को संचालित करने के लिए निविदाएं आमंत्रित की जा चुकी है, सितंबर माह तक इनका संचालन भी शुरु हो जाएगा।
(Champawat Tea Garden)