गौरतलब है की शुक्रवार शाम अजित एनएसए अजित डोभाल अचानक अपनी पत्नी और बेटे के साथ पौड़ी जिला मुख्यालय के सर्किट हाउस पहुंचे। शनिवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे वह अपने पैतृक गांव घीड़ी स्थित बाल कुंवारी मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने कुलदेवी की पूजा-अर्चना की। साथ ही मंदिर समिति को डेढ़ लाख रुपेय भी दान किए। पूजा के बाद वह ग्रामीणों से भी मिले और उनके हालचाल भी पूछे। इसके बाद वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। बता दे की इस दौरान जब वह सड़क से करीब सौ मीटर तक मंदिर की तरफ चले तो ग्रामीणों ने ढोल दमाऊ से उनका स्वागत भी किया। इस प्रकार उनका अपने पहाड़ आना अपने कुलदेवी और अपने संकीर्ति से के प्रति अथाह लगाव को ही प्रदर्शित करता है। अगर बात करे पीएम नरेंद्र मोदी पिछले शासन काल की तो पहली बार एनएसए बनने के बाद भी वर्ष 2014 में वे निजी कार्यक्रम पर अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचकर कुलदेवी की पूजा-अर्चना की थी।
उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे डोभाल : अजित डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के बनेलस्यूं पट्टी स्थित घीड़ी गांव में एक गढ़वाली परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए अजीत डोभाल 1968 में केरल कैडर से आईपीएस में चुने गए थे, 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं। वह सक्रिय रूप से मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं।वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घीड़ी गांव निवासी अजीत डोभाल पर भरोसा जताकर उन्हें एनएसए जैसे अहम पद पर आसीन किया था। दोबारा एनएसए बनने के बाद शुक्रवार शाम वह पौड़ी पहुंचे।