उत्तराखण्ड (Uttarakhand): राखी को राष्ट्रीय वीरता मैडल, प्रशस्तिपत्र के साथ ही 40 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया
खुद की जान की बाजी लगाकर गुलदार के हमले से भाई की जान बचाने वाली राज्य(Uttarakhand) की बहादुर बेटी राखी को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के तहत मार्कंडेय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू ) की ओर से दिल्ली में आयोजित भव्य कार्यक्रम समारोह में राखी को यह पुरस्कार असम राइफल्स के ले. कर्नल रामेश्वर राय के करकमलों से दिया गया। राखी की वीरता भरी कहानी सुनने के बाद जहां कार्यक्रम में उपस्थित दर्शक तालियां बजाने को मजबूर हो गए वहीं कर्नल राय ने कहा कि वह खुशनसीब है जो उन्हें राखी को सम्मानित करने का मौका मिला। ऐसा अवसर हर किसी को नहीं मिलता। अपनी बच्ची को ऐसे सम्मानित होता देखकर राखी के माता-पिता ने कहा कि राखी ने उन्हें एक नई पहचान दिलाई है। हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारी बेटी को एक दिन इतना सम्मान मिलेगा।
यह भी पढ़ें– केन्द्र सरकार ने किया पद्म पुरस्कारों का ऐलान, देवभूमि उत्तराखंड से तीन विभूतियों के नाम
मशहूर कवि कुमार विश्वास ने भी दी थी हिमालय की बेटी की उपाधि:-बता दें कि राज्य के पौड़ी गढ़वाल निवासी राखी ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए गुलदार के हमले से भाई की जान बचाई थी। जिसमें वह गंभीर रूप से घायल भी हो गई थी और उसका कई दिनों तक दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज भी चला था। मार्कंडेय पुरस्कार में राखी को राष्ट्रीय वीरता मैडल, प्रशस्तिपत्र के साथ ही 40 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया। इसके बाद तो जैसे कार्यक्रम में राखी के साथ सेल्फी लेने की होड़ ही लग गई, देश की जानी मानी हस्तियों सहित दर्शक दीर्घा में उपस्थित कई लोग राखी के साथ सेल्फी लेने को तरसते हुए नजर आए। देश की जानी-मानी हस्तियों के बीच अपनी बहादुर बेटी को सम्मानित होता देख राखी के माता-पिता की आंखों से अश्रुओं की धारा बह निकली। वह इतने भाव विभोर हो गए कि पुरस्कार पाते ही अपनी बच्ची को गले लगाकर चूम लिया। बताते चलें कि इससे पहले हिंदी के मशहूर कवि कुमार विश्वास ने भी राखी की बहादुरी का किस्सा सुनकर न सिर्फ उसकी प्रशंसा की थी अपितु उसे हिमालय की बेटी की उपाधि भी दे दी।
यह भी पढ़ें– उत्तराखण्ड: चार साल पहले तक भीख मांगती थी चांदनी, अब मुख्य अतिथि बन बयां की अपनी दास्तां