उत्तराखण्ड (uttarakhand) की बहादुर बेटी राखी 26 जनवरी को हुई थी दिल्ली में सम्मानित..
अपनी जान पर खेलकर गुलदार के हमले से भाई को बचाने वाली राज्य(uttarakhand) की बहादुर बेटी राखी देश की राजधानी दिल्ली से वीरता पुरस्कार कर अपने घर लौट आई है। गांव में कदम रखते ही हर कोई उसे बधाई देने चला आया। देखते ही देखते गांव की पंचायत ने उसे सम्मानित करने के लिए एक कार्यक्रम रखने की योजना बनाई और फिर हुआ राखी का गांव लौटने पर अद्भुत स्वागत। जी हां.. इस कार्यक्रम में बहादुर बच्ची राखी का उसकी ग्राम पंचायत देवकुंडई में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों और अधिकारियों ने भव्य स्वागत किया। पौड़ी गढ़वाल जिले के देवकुंडाई प्राथमिक स्कूल में आयोजित इस स्वागत समारोह में सभी ने राखी की बहादुरी की प्रशंसा की और बीडीओ बीरोंखाल आशाराम पंत की अगुवाई में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों ने उसे प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। गांव के ग्राम प्रधान यशपाल रावत ने कार्यक्रम में जैसे ही राखी की बहादुरी की कहानी सुनाई मंचासीन गणमान्य अतिथियों सहित वहां मौजूद सभी लोग तालियां बजाने को मजबूर हो गए। स्वागत समारोह में बीरोंखाल के बीडीओ आशाराम पंत ने कहा कि राखी ने अपनी वीरता की नायाब कहानी से जहां अपने माता-पिता, गांव एवं क्षेत्र के साथ ही पूरे राज्य का नाम देश में रोशन किया है वहीं इस छोटी सी बच्ची राखी की वीरता भरी कहानी हर किसी को प्रेरणा देने वाली है। राखी के वीरता, साहस एवं बहादुरी की जीतनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। इस मौके पर कार्यक्रम में भारी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। विदित हो कि राज्य(uttarakhand) की बहादुर बेटी राखी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में वीरता पुरस्कार के रूप में मार्कण्डेय पुरस्कार प्रदान किया गया था।
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