पुलिस इंस्पेक्टर नीरज भाकुनी का तबादला हाईकोर्ट ने की थी तल्ख टिप्पणी Neeraj bhakuni transfer
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Inspector NEERAJ BHAKUNI POLICE TRANSFER उत्तराखंड पुलिस में बड़ा प्रशासनिक बदलाव: हाईकोर्ट की सख्ती के बाद बनभूलपुरा केस से हटाए गए इंस्पेक्टर नीरज भाकुनी, भेजा गया पिथौरागढ़
Inspector NEERAJ BHAKUNI POLICE TRANSFER उत्तराखंड पुलिस महकमे में बीते गुरुवार को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक फेरबदल किया गया है। पुलिस मुख्यालय से जारी आदेश में प्रदेशभर के 78 निरीक्षकों का तबादला किया गया है। इस तबादला सूची में सबसे ज्यादा चर्चा उस नाम की हो रही है, जो बीते कुछ महीनों से सुर्खियों में बना हुआ है। जी हां… बात हो रही है बनभूलपुरा थाने में तैनात इंस्पेक्टर और थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी की। वहीं नीरज भाकुनी, जिनका तबादला नैनीताल जिले से बाहर अन्यत्र जिलों में करने का आदेश बीते बुधवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार को दिया था। अब इसे संयोग कहें या हाईकोर्ट की सख्ती का असर, सरकार मेहरबान ने हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी पर त्वरित कार्रवाई करते हुए न केवल 24 घंटे के भीतर बनभूलपुरा इंस्पेक्टर नीरज भाकुनी का तबादला पिथौरागढ़ कर दिया, बल्कि 78 अधिकारियों की तबादला सूची जारी कर यह दिखाने का भी भरसक प्रयास किया कि, तबादले की प्रकिया तो पहले से ही गतिमान थी, इस पर हाईकोर्ट के हस्तक्षेप का कोई असर नहीं पड़ा है।
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बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने की थी तल्ख टिप्पणी uttarakhand police transfer 2025
आपको बता दें कि बीते बुधवार को फईम हत्याकांड की सुनवाई के दौरान उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए न केवल 8 फरवरी 2024 को हुई बनभूलपुरा हिंसा के दौरान फईम नामक युवक की मौत की जांच से भाकुनी को हटाने की बात कही गई थी। बल्कि थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी का तबादला नैनीताल जिले से ही बाहर करने के आदेश भी सरकार को दिए थे। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और मृतक के भाई परवेज ने अदालत को बताया कि 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी में हिंसा के दौरान उसके भाई फईम की गोली लगने से मौत हो गई थी, लेकिन पुलिस ने जांच में गंभीर लापरवाही बरती। कोर्ट ने इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा था कि “यह देश का शायद पहला मामला है जहां जांच अधिकारी ने न केवल प्रत्यक्षदर्शियों की अनदेखी की बल्कि बिना कोई विशेषज्ञ राय लिए क्लोज़र रिपोर्ट भी दाखिल कर दी।”
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नीरज भाकुनी का ट्रांसफर, अब एसआईटी करेगी जांच, हाईकोर्ट की सख्ती के बाद बैकफुट पर आई सरकार uttarakhand police inspector neeraj bhakuni transfer Pithoragarh
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में 8 फरवरी 2024 को हुई हिंसा के दौरान फईम की मौत को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सख्त जवाब तलब किया था। गुरूवार को हुई सुनवाई में उत्तराखण्ड सरकार ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि तत्कालीन जांच अधिकारी नीरज भाकुनी का स्थानांतरण पिथौरागढ़ कर दिया गया है और मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन भी कर दिया गया है।
सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि नवनियुक्त एसआईटी की कमान नैनीताल एसपी ट्रैफिक जगदीश चंद्रा को सौंपी गई है। उनके साथ हल्द्वानी सीओ नितिन लोहनी और एसआई प्रमोद पाठक जांच दल में शामिल किए गए हैं। जिसके बाद हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान निर्देश दिए हैं कि जांच की रिपोर्ट हर महीने अदालत में पेश की जाए, ताकि पूरी प्रक्रिया की नियमित निगरानी हो सके।
याचिकाकर्ता की आपत्ति और हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणियां haldwani police inspector neeraj bhakuni:
आपको बता दें कि 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी में हुई हिंसा के दौरान जान गवाने वाले फईम के भाई परवेज की ओर से दायर याचिका में यह सवाल उठाया गया था कि जिस पुलिस अधिकारी पर निष्पक्ष जांच की ज़िम्मेदारी थी, वही व्यक्ति मामले में अंतिम रिपोर्ट भी तैयार कर रहा था। कोर्ट ने इस पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि “ऐसी रिपोर्ट को देखकर ‘शॉकिंग’ शब्द भी चौंक जाएगा क्योंकि जांच अधिकारी ने फोरेंसिक विशेषज्ञ से लेकर गवाह और न्यायिक पक्ष तक सभी की भूमिका खुद ही निभाने की कोशिश की। इस संबंध में फईम के परिजनों का यह भी आरोप है कि फईम की मौत हिंसा की भीड़ में नहीं बल्कि अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारे जाने से हुई थी। उन्होंने पुलिस से कई बार जांच की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अंततः उन्होंने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और सीबीआई जांच की मांग के साथ-साथ परिवार को सुरक्षा देने की गुहार भी लगाई।
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हाईकोर्ट स्वयं करेगा मामले की निगरानी police inspector Neeraj Bhakuni Banbhoolpura case
फईम की मौत के मामले में कोर्ट ने पुलिस की जांच प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि, “जांच अधिकारी ने स्वयं ही फॉरेंसिक, न्यायिक और तकनीकी विश्लेषण की भूमिका निभा ली, जो बेहद गंभीर चिंता का विषय है।” कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया है कि वह इस क्लोज़र रिपोर्ट की समीक्षा कर हलफनामा प्रस्तुत करें। मामले में पुलिस प्रशासन की ओर से की गई हीलाहवाली और संवदेनहीनता को देखते हुए हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस संवेदनशील और गंभीर मामले की निगरानी स्वयं करेगा। हाईकोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिए कि जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए और पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने में कोई कोताही न बरती हो।
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