Rekha Sajwan pilot Indigo: रेखा ने कड़ी मेहनत से हासिल किया मुकाम, माता-पिता को दिया अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि का श्रेय….
Rekha Sajwan pilot Indigo जीतूंगा मैं यह मेरा वादा है, कोशिश मेरी सबसे ज़्यादा है, हिम्मत भी टूटे तो भी नही रुकूंगा, मजबूत बहुत मेरा इरादा है।
इन चंद पंक्तियों को एक बार फिर से सही साबित कर दिखाया है देवभूमि उत्तराखंड की एक और प्रतिभाशाली बेटी ने। जी हां… बात हो रही है उत्तराखण्ड की उस होनहार बेटी की, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते पायलट बनने का मुकाम हासिल किया है। हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत और वर्तमान में नैनीताल जिले के हल्द्वानी तहसील क्षेत्र की रहने वाली रेखा सजवाण की, जो अपने सपनों की ऊंची उड़ान भरकर अब लोगों को हवाई सफर करा रही है। आपको बता दें कि रेखा सजवान, वर्तमान में इंडिगो एयरलाइंस कंपनी में बतौर पायलट, दिल्ली में तैनात हैं। रेखा की इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं उनके माता-पिता खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। रेखा ने अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है।
Rekha Sajwan Haldwani Uttarakhand देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में रेखा बताती है कि वह एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखती है। उनके पिता इन्द्र सिंह सजवाण भारतीय सेना में कार्यरत हैं जबकि उनकी मां भगवती सजवाण एक कुशल गृहिणी हैं। बता दें कि राज्य के नैनीताल जिले हल्द्वानी तहसील क्षेत्र के श्याम विहार फेज 2 की रहने वाली रेखा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सैनिक स्कूल से प्राप्त की है। इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत उन्होंने दिल्ली से एयरोनॉटिक्स (वैमानिकी) में बीटेक की डिग्री हासिल की। तदोपरांत उन्होंने कामर्शियल पायलट ट्रेनिंग की। जिसके पश्चात वे इंडिगो एयरलाइंस में पायलट के पद पर चयनित हुई। अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता को देने वाली रेखा कहती हैं कि वह आज तो भी हैं, अपने माता-पिता के कड़े संघर्षों एवं उनकी प्रेरणा से ही हैं। उनके माता-पिता ने न केवल हमेशा उनके सपनों को सपोर्ट किया बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित भी किया। बातचीत में रेखा कहती हैं कि उन्होंने पायलट बनने का सपना बारहवीं में देखा था, इसके बाद से ही वह अपने इस सपने को साकार करने में जुटी रही और कड़ी मेहनत, माता-पिता के साथ और उनके प्रोत्साहन से आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।