शौर्य रावत ने एनडीए के परीक्षा (NDA EXAM) परिणामों में पूरे देश में हासिल की 43वीं रैंक, अब प्रशिक्षण के बाद बनेंगे भारतीय वायुसेना में अफसर..
आए दिन देवभूमि उत्तराखंड के युवा हर क्षेत्र में सफलता अर्जित कर प्रदेश का मान बढ़ा रहे हैं। देशसेवा के लिए सेना में सम्मिलित होने वाले राज्य के युवाओं की तादाद भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। आज हम आपको राज्य के एक ऐसे ही होनहार युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जो सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अब कुछ ही वर्षों में वायुसेना में अफसर बनने जा रहे हैं। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के रूद्रप्रयाग जिले के रहने वाले शौर्य रावत की, जिन्होंने एनडीए के परीक्षा परिणामों (NDA EXAM) में पूरे देश में 43वीं रैंक हासिल की है। सबसे खास बात तो यह है कि बिना किसी कोचिंग के एनडीए में चयनित होने वाले शौर्य को जेईई प्रवेश परीक्षा के परिणामों में भी शानदार सफलता मिली है। जिसके बलबूते उन्हें दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी मिल गया है लेकिन बचपन से एडवेंचर लाइफ में रूचि रखने वाले शौर्य ने सेना में जाने को प्राथमिकता दी है। इतना ही नहीं शौर्य अपने परिवार से सेना में सम्मिलित होने वाले पहले व्यक्ति भी हैं। उनकी इस अभूतपूर्व सफलता से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है।
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: खोली गांव के दीपक बनेंगे वायुसेना में पायलट, सीडीएस में हुआ चयन
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत:-
बता दें कि मूल रूप से राज्य के रूद्रप्रयाग जिले के भणज गांव निवासी शौर्य रावत ने एनडीए के परीक्षा परिणामों में 901 अंक हासिल कर पूरे देश में 43वीं रैंक हासिल की है। देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में शौर्य ने बताया कि वर्तमान में वह दिल्ली के आर•के•पुरम में रहते हैं। उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई भी नई दिल्ली के रामजस स्कूल से प्राप्त की है। बचपन से ही मेधावी छात्र रहे शौर्य ने हाईस्कूल की परीक्षा जहां 94.2 अंकों के साथ उत्तीर्ण की वहीं इंटरमीडिएट की परीक्षा में उन्हें 95.2 फीसदी अंक मिले। बताते चलें कि शौर्य के पिता यशवंत सिंह रावत जहां असिस्टेंट पोस्ट मास्टर के पद पर कार्यरत हैं वहीं उनकी मां नीरा रावत एक कुशल गृहिणी है। प्रशिक्षण के बाद वायुसेना में अफसर बनने जा रहे शौर्य का कहना है कि हमें अपनी तैयारी पर हमेशा भरोसा रखना चाहिए, तैयारी के दौरान पढ़ाई के साथ ही अपनी अन्य पसंदीदा चीजों जैसे खेल-कूद आदि के लिए भी समय निकालकर इनके बीच में सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। शौर्य ने अपनी इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है।
यह भी पढ़ें- अंशल का बचपन से था आसमां में उड़ान भरने का सपना, अब पायलट बनकर दे रहे भारतीय वायुसेना में सेवा