Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day
Uttarakhand news: Staged the play 'Sunpat Shoke Ki Chayeli' based on the immortal love story 'Rajula Malushahi' Hindi. rajula malushahi story Hindi

उत्तराखण्ड

पहाड़ी गैलरी

उत्तराखण्ड: अमर प्रेमकथा ‘राजुला मालुशाही’ पर आधारित नाटक ‘सुनपत शौके की च्येली’ का मंचन

rajula malushahi story Hindi: गढवाली कुमाऊनी जौनसारी अकादमी दिल्ली के तत्वावधान में हुआ मंचन, मीना पांडे ने किया नाट्य लेखन व नाट्य निर्देशन

उत्तराखंड की प्रसिद्ध प्रेम लोक गाथा राजुला मालूशाही की तर्ज पर सुनपत शौके की च्येली का मंचन 22 जून को गढवाली कुमाऊनी जौनसारी अकादमी दिल्ली के तत्वावधान में हुआ। गढवाली कुमाऊनी जौनसारी अकादमी दिल्ली सरकार के द्वारा मस्ती की पाठशाला के तहत 22 मई से 22 जून तक दिल्ली के स्कूलों में कई नाटकों की कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें तैयार की गई प्रस्तुति का मंचन 19 से 22 जून को किया गया। गिरीश बिष्ट ‘हँसमुख’ की कहानी सुनपत शौके की च्येली का नाट्य लेखन व नाट्य निर्देशन मीना पांडे के द्वारा किया गया।
(rajula malushahi story Hindi)
यह भी पढ़ें- सावधान उत्तराखण्ड: अगले तीन दिन होगी भारी बारिश, रेड अलर्ट के साथ ही हेल्पलाइन नंबर जारी

स्कूल की 36 बालिकाओं ने अपने कुशल अभिनय और कुमाऊनी में बोले गए संवादों से दर्शकों को यह एहसास नहीं होने दिया कि उनमें से कोई भी इस भाषा और परिवेश से जुड़ा हुआ नहीं है। वेशभूषा , संगीत, संवाद ने नाटक में दर्शकों को पूरी तरह से जुड़े रखा। मीना पांडे के कुशल निर्देशन में मंचित हुए सुनपत शौके की च्येली में कई दृश्य पहाड़ के परिवेश की याद दिला गए। उदयीमान बाल कलाकार सृजन पांडे के द्वारा घुघुती चिड़िया का सुंदर अभिनय किया गया। नाटक का सह निर्देशन लोक कलाकार भुवन गोस्वामी ने किया। मंचन मे तकनिकी सहयोग कैलाश पाण्डेय का तथा वेशभूषा व मेकअप में सुनील बढ़ोनी का सहयोग रहा।
(rajula malushahi story Hindi)
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: पर्वतीय रूट पर गाड़ी चलाने वाले सावधान! आएटीए के नए नियम लागू

मुझे याद आ रहा है वर्ष 1980 -81 का राजुला मालूशाही । जिसने राष्ट्रीय रंगमंच पर कई नए प्रतिमान रचे। रंगमंच के 3 महान कलाकारों के सहयोग से तैयार हुआ था राजुला मालूशाही। जिसकी परिकल्पना व संगीत निर्देशन मोहन उप्रेती का, नाट्य लेखन बृजेंद्र लाल शाह का नाट्य निर्देशन बृजमोहन शाह का था। रंगमंच के कई नामी कलाकारों ने इसमें अभिनय किया था। सुनपत शौके की च्येली नाटक को देखने से लगा कि 4 दशक के अंतराल के बाद भी वर्तमान रचनाकार कुछ-कुछ वैसा ही सोचता है अपनी प्रस्तुतियों में। पहाड़ के परिवेश में पली-बढ़ी मीना पांडे ने बताया कि एक लोक कथा जिसका प्रचलित संस्करण लेखक की कहानी से थोड़ा भिन्न है उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी की प्रसिद्ध लोक कथा से जुड़ी लोक भावनाओं को का सम्मान करते हुए प्रस्तुत कहानी के साथ भी न्याय किया जा सके।
(rajula malushahi story Hindi)
यह भी पढ़ें– ऋषिकेश घूमने आने वाले ध्यान दें नहीं कर पाएंगे गंगा आरती, तीन दिन कार्यक्रम स्थगित

रंगमंच विशेषज्ञ डाॅ सुवर्ण रावत ने कहा सुनपत शौके की च्येली का उत्तरांचलिय गीत-संगीत-नृत्य के साथ बच्चों का अभिनय सराहनीय था। दराँती से फ़सल काटती ग्रामीण महिलाएं, मेले के में चूड़ी, दुपट्टा, जलेबी, गुब्बारे से सज्जी दुकानें, चोंच में चिट्ठी लिए उड़ान भरती घुघुती (स्वप्न-दृश्य), बागेश्वर के मंदिर की पूजा-अर्चना जैसे बहुत से दृश्य सुश्री मीना पांडे के सफल निर्देशन में अपना प्रभाव छोड़ने में क़ामयाब रहे। रंगकर्मी राकेश शर्मा ने नाटक पर चर्चा करते हुए कहा- “हम जानते हैं कि रंगमंच यह जानने मे सहायक है कि हम कौन हैं? और क्या बन सकते हैं? मुझे इसी प्रक्रिया से कार्य करती दिखी मीना पांडे। इस कार्यशाला में उन्होंने एक कुमाऊँनी नाटक का निर्देशन किया जिसमे भाग लेने वाले बच्चे उत्तराखंडी ना होकर अन्य प्रदेशों से थे। मुझे यह कहते कोई दुविधा नही है कि ये बच्चे हमारी आज की पीढी से बेहतर कुमाऊँनी बोल रहे थे, मीना जी इस कार्यशाला मे बच्चों को यह समझाने में सफल रही कि जो आप जानते हो और जो आप नही जानते हो उसे पूरी ईमानदारी से स्वीकारो, बच्चे उसे स्वीकारते दिखे। ध्वनि प्रभाव व वेश भूषा से नाटक ने दर्शको को बाँध कर रखा।”
(rajula malushahi story Hindi)
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड: पहाड़ की खूबसूरत वादियों में हुई हिंदी फीचर फिल्म “अपना आकाश” की शूटिंग पूरी

लोकगायक शिव दत्त पंत ने कहा- “सुनपत शौके की च्येली” कुमाऊनी नाटक की बहुत सुंदर प्रस्तुति स्कूल के बच्चों द्वारा दी गई, कुमाऊनी बोली में सुंदर डायलॉग सुनने को मिला और अपने उत्तराखंड की संस्कृति की सुंदर झलक देखने को मिली।” वहीं वरिष्ठ कवि रघुबरदत्त शर्मा ‘राघव’ ने नाटक देखने के बाद अपने विचार रखते हुए कहा “अभिभूत हूँ उत्कृष्ट निर्देशिका के रुप में मीना पाण्डेय का कर्म काैशल देखकर…वास्तव में गिरीश बिष्ट हंसमुख की कथा “सुनपत शौके की च्येली” का जितना सुंदर नाट्य रुपांतरण कर अपने सहयोगी भुवन गोस्वामी के साथ थियेटर तक इन्होनें उतारा है, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। यह भी बताते चलें कि सुनपत शौके की च्येली नाट्य प्रस्तुति में अपने कुशल निर्देशन का दिग्दर्शन कराने वाली मीना पांडे एक प्रतिष्ठित कवियत्री ,साहित्यिक पत्रिका की संपादक और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार से जूनियर फैलोशिप भी प्राप्त कर चुकी हैं। उत्तराखंड की प्रतिष्ठित संस्था मोहन उप्रेती शोध संस्थान की आप संस्थापक सदस्य भी है।
(rajula malushahi story Hindi)

यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड मौसम: भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी, 24 घंटे एक्टिव मोड में रहेंगे अधिकारी

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

More in उत्तराखण्ड

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top