Nainital Tiffin Top Derothy Seat: नैनीताल के दरकते पहाड़ों का जायजा लेने के लिए पहुँची भू वैज्ञानिकों की टीम, टिफिन टॉप का किया निरीक्षण….
Nainital Tiffin Top Derothy Seat: गौरतलब हो कि उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में अक्सर बारिश के दौरान पहाड़ियों के दरकने का सिलसिला जारी रहता है। जिसके चलते कई सारे खूबसूरत स्थान मलबे मे दबकर इतिहास के पन्नों में कहीं ना कहीं दफन हो जाते हैं। ठीक इसी प्रकार से 9 अगस्त को नैनीताल जिले के टिफिन टॉप में एक ऐसी ही घटना घटी जिसके कारण चोटी पर बनी डेरोथी सीट भूस्खलन के चलते ढह गई और यह खूबसूरत पर्यटक स्थल इतिहास बन कर रह गया। इतना ही नहीं बल्कि नैनीताल का अस्तित्व लगातार खतरे की जद में है जिसके चलते भू वैज्ञानिकों की टीम को नैनीताल भेजा गया जहां पर टीम ने टिफ़िन टॉप का निरीक्षण किया।
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Nainital Tiffin Top tourist place बता दें नैनीताल की दरकती पहाड़ियों की रोकथाम के लिए सरकार ने भू वैज्ञानिकों की टीम को नैनीताल भेजा जहां पर भूस्खलन की चपेट में दफन हुए टिफिन टॉप का टीम के सदस्यों ने निरीक्षण कर वहां की परिस्थितियों को समझ कर ट्रीटमेंट का रास्ता बताया। भू वैज्ञानिकों ने शहर के कई इलाकों का ट्रीटमेंट अनिवार्य बताया है। इस दौरान जिला प्रशासन की टीम भी उनके साथ मौजूद रही। चार्टनलॉज के निरिक्षण के बाद उन्होंने बताया कि ये पूरा इलाका 1880 के भूस्खलन के मलवे पर बसा है और यहां पर निर्माण ही सबसे बड़ा खतरा है। टिफिनटॉप का दौरा कर भूवैज्ञानिक भाष्कर पाटनी ने कहा कि अब जो हिस्सा खतरे में है उसका ट्रिटमेंट किया जा सकता है। कहा कि ये पूरा क्षेत्र डोलोमिटिक लाइमस्टोन है, जिसमें दरारें बन गई हैं और बारिश से इसमें भारी मिट्टी बही तो पूरा पहाड़ गिर गया। उन्होंने इसका ट्रीटमेंट बताते हुए कहा कि इसकी ग्राउटिंग कर दें तो इसको बचाया जा सकता है।
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