Uttarakhand paper leak bharti gotala: उत्तराखण्ड के नेताओं को इस भाजपा विधायक ने दिखाया आईना, बने एक नजीर, क्या इससे कुछ सिखेगें सत्ताधारी पार्टी सहित प्रदेश के सभी जनप्रतिनिधी….
समूचा उत्तराखण्ड इन दिनों भर्ती परीक्षाओं में धांधली की खबरों से त्रस्त है। भर्ती परीक्षा में लगातार हो रहे घोटालों से जहां एक ओर राज्य के युवाओं के सुनहरे भविष्य के सपनें लगातार धूमिल हो रहे हैं वहीं गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारके लोग आज खुद को कोसते हुए यह कहने को मजबूर हुए हैं कि वाकई 2022 के चुनावों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर भाजपा को दुबारा सत्ता सौंपकर उन्होंने बड़ी ग़लती कर दी। वैसे भाजपा हों या कांग्रेस, दिल्ली से संचालित होने वाली ये दोनों पार्टियां उत्तराखण्ड के लिए हमेशा ही एक ही थाली के चट्टे बट्टे रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि 2017 से पहले सत्ताधारी कांग्रेस के समय भर्तियों में धांधली न हुई हो और ना ही अभी जिन राज्यों में कांग्रेस के सरकारें हैं वहां भर्ती परीक्षाओं में धांधली के मामले सामने ना आ रहे हैं। वास्तविकता तो यह है कि भर्ती परीक्षाओं में धांधली, घोटाले या भ्रष्टाचार का यह घुन आज समूचे देश में अपने पांव पसार चुका है। बीते दिनों राजस्थान में भी ऐसा ही घोटाला उजागर हुआ है। जिसकी सीबीआई जांच को लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा इन दिनों सड़कों पर उतर आया है।
(Uttarakhand paper leak bharti gotala)
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वैसे तो राजस्थान और उत्तराखण्ड की परिस्थितियां एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत है। राजस्थान में जहां सत्ता कांग्रेस के पास है वहीं उत्तराखण्ड में भाजपा के पास सरकार की कमान है। परंतु राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके भाजपा विधायक गुलाब चंद कटारिया द्वारा बीते वर्ष विधानसभा में दिया गया जो वक्तव्य इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है वह वाकई सराहनीय है। बीते कुछ समय से देश के सबसे कठोर नकल कानून देने का राग अलापने वाले उत्तराखण्ड के सबसे युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उनकी ये बातें जरूर सुननी और माननी चाहिए। बात सीखने की हों तो न सिर्फ उत्तराखण्ड भाजपा के नेताओं बल्कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित उत्तराखण्ड के प्रत्येक जनप्रतिनिधियों को इससे सीख लेनी चाहिए। सीख तो प्रदेश की उस जनता को भी लेनी चाहिए जो चुनावी जनसभाओं में छोटी छोटी बातों, पहाड़ी बोली भाषाओं को सुनकर ऐसी मंत्रमुग्ध हो जाती है कि अपना आगे पीछे के कड़वे अनुभव का इतिहास और भविष्य ही भूल जाती है।
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खैर छोड़िए, आज बात सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे राजस्थान के भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया के वक्तव्य की ही करते हैं, जिन्होंने रोते हुए रूंधे हुए गले से यहां तक कहा है कि महज कानून बनाने से कुछ नहीं हो सकता, भर्ती परीक्षाओं में धांधली, घोटाले को रोकना है तो हमें सिस्टम को ही पूरी तरह बदलना होगा। उन्होंने विधानसभा में यह वक्तव्य बीते वर्ष राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा 2022 पर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कानून तो बहुत है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा है कि कानून में धारा 302 के तहत हत्या के आरोपी को फांसी, उम्रकैद देने का प्रावधान है परंतु क्या इससे हत्याएं रूक गई है? वाकई राजस्थान के इस भाजपा विधायक का यह वक्तव्य एक उदाहरण नहीं है बल्कि इसके जरिए उन्होंने बहुत बड़ी बात कह दी है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जो बार बार यह कहते नहीं थक रहे हैं कि सीबीआई जांच की मांग वे लोग कर रहे हैं जो भर्ती परीक्षाएं नहीं देना चाहते, उन्हें वास्तव में इससे कुछ सीखना चाहिए। खैर सीएम साहब कुछ सीखते हैं या नहीं ये तो आने वाला भविष्य बताएगा परंतु फिलहाल आप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को देखकर तय कीजिए कि आज उत्तराखंड किस मुहाने पर आ खड़ा हुआ है। आज हम पार्टियों से लगाव, जुड़ाव के कारण अपने दिल की आवाज भी नहीं उठा पा रहे हैं ।
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