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पिथौरागढ़

पहाड़ में आपदा का कहर जारी, भारी वर्षा से हुए भूस्खलन में दो लोग लापता, बद्रीनाथ हाइवे भी बंद

Landslide in pithoragarh: पहाड़ में आपदा का कहर जारी, भूस्खलन के कारण जमींदोज हुआ मकान, मवेशियों सहित दो लोग लापता..

राज्य के पिथौरागढ़ जिले में आपदा का कहर जारी है। बीती रात एक बार फिर जिले के बंगापानी तहसील में भारी बारिश के कारण भूस्खलन (Landslide in pithoragarh) हुआ। जिसमें दो घरों के जमींदोज हो जाने से उसमें रहने वाले परिवार के दो सदस्य मवेशियों संग लापता हो ग‌ए जबकि मुनस्यारी तहसील में एक अन्य महिला की मलबे में दबने से मौत हो गई। विदित हो कि बीते 19 जुलाई को बंगापानी तहसील के टांगा मुनियाल और गैला गांव में बादल फटने से 14 लोगों की मौत हो गई थी जिसमें से दो लोग अभी भी लापता बताए गए हैं। करीब एक घंटे तक लगातार हुई भारी बारिश से चट्टानें कमजोर पड़ गई और उनमें दरारें आने के बाद पूरी की पूरी पहाड़ी ही गांव की ओर मलबे के रूप में आ गई। पहाड़ी से हुए भूस्खलन में बहुत सारे घर जमींदोज हो ग‌ए थे और पूरा गांव ही शमशान में तब्दील हो गया था।
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गोठी गांव में मलबे में दबी एक महिला, बद्रीनाथ हाइवे पर भी हुआ भारी भूस्खलन, बाल-बाल बचे वाहन:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी तहसील में एक बार फिर मौसम ने अपना कहर बरपाया। इस बार मौसम के इस कहर का शिकार हुआ धामी गांव का भ्यौला तौक, जहां बीती रात भारी बारिश से भूस्खलन हो गया। जिसकी चपेट में आकर दो मकान जमींदोज हो गया और उनमें रहने वाले परिवार के दो सदस्य मवेशियों सहित लापता हो गए। लापता लोगों में विशना देवी हयात सिंह, जवाहर सिंह शामिल हैं। घटना की सूचना पर राहत एवं बचाव दल मौके पर पहुंच गया है। दूसरी ओर जिले के ही मुनस्यारी तहसील के गोठी गांव में मलबे में दबने से एक महिला की मौत हो गई। मृतक महिला की पहचान जानकी देवी पत्नी भूपाल सिंह के रूप में हुई है। मौके पर पहुंची एसडीआरएफ की टीमों ने पुलिस के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। उधर बद्रीनाथ हाइवे आज सुबह एक बार फिर भूस्खलन हुआ, जिस कारण मार्ग बंद हो गया। समाचार एजेंसी एएन‌आई के अनुसार भूस्खलन चमोली जिले के गौचर में स्थित आईटीबीपी कैम्प के पास हुआ, वो तो गनीमत रही कि भूस्खलन की आहट पाते ही वाहन चालकों ने अपने-अपने वाहन सड़क पर रोक लिए थे, जिस कारण भूस्खलन के वक्त हाइवे से कोई भी वाहन नहीं गुजर रहा था। अन्यथा एक बड़ा हादसा हो सकता था।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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