संस्कृत विषय से असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) बनी बबीता कांडपाल (Babita Kandpal), लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित चयन सूची में हासिल किया प्रथम स्थान..
देवभूमि उत्तराखंड की बेटियां आज हर क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी टक्कर दे रही है। बात अगर शिक्षा के क्षेत्र की ही करें तो भी देवभूमि की बेटियों ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के बलबूते कई मुकाम हासिल किए हैं। राज्य की बेटियों का यह रूतबा उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा बीते गुरुवार को घोषित असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) के परीक्षा परिणामों में भी नजर आया। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही बेटी से रूबरू करा रहे हैं जिसका बचपन तो अभावों में बिता परंतु इन्हीं अभावों में किए गए उसके संघर्ष और कड़ी मेहनत से आज उसने एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसका सपना उसने बचपन से देखा था। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले की रहने वाली बबीता कांडपाल(Babita Kandpal) की, जो न सिर्फ संस्कृत विषय से अस्टिटेंट प्रोफेसर बन गई है बल्कि उन्होंने लोक सेवा आयोग द्वारा जारी चयन सूची में पहला स्थान भी हासिल किया है। बबीता की इस उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं पूरे क्षेत्र के साथ ही नाते-रिश्तेदारों में भी खुशी की लहर है। बबीता ने अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता, सास-ससुर, पति एवं अन्य परिजनों के साथ ही प्रोफेसर माया शुक्ला एवं जेएनयू के प्रोफेसर डॉक्टर सत्यमूर्ति को दिया है।
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वर्तमान में एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के साथ ही पीएचडी कर रही है बबीता:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के कर्नाटक खोला की रहने वाली बबीता कांडपाल ने उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा बीते गुरुवार को घोषित असिस्टेंट प्रोफेसर के परीक्षा परिणामों में समूचे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। बता दें कि वर्तमान में एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी में बतौर गेस्ट असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत विषय पढ़ा रही बबीता ने स्नातक तक की शिक्षा लखनऊ से प्राप्त की। तत्पश्चात उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से परास्नातक किया। वर्तमान में वह न सिर्फ 2017 से एमबीपीजी कालेज में छात्र-छात्राओं को पढ़ा रही है बल्कि कुमाऊं यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी कर रही है। अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि से काफी खुश बबीता ने देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में बताया कि उन्होंने इस परीक्षा के लिए काफी मेहनत की थी। उनका बचपन से ही सपना था कि कुछ अलग करना है और इसके लिए उन्होंने शिक्षा को अपना माध्यम बनाया तथा बचपन से ही एक शिक्षक/प्रोफेसर बनने का सपना देखा, जो आज हकीकत में तब्दील हो गया है। बताते चलें कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा यह परीक्षा जुलाई 2018 में आयोजित की गई थी। जिसके लिए बबीता का साक्षात्कार 18 नवंबर 2020 को हुआ था।
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