uttarakhand: अब शहीद राकेश चंद्र रतूड़ी के नाम से जाना जाएगा जीआईसी सांकरसैंण..
विगत दो वर्ष पहले इसी महीने की दस तारीख को जम्मू कश्मीर के सुंंजवान में आतंकियों से लोहा लेते हुए हवलदार राकेश रतूड़ी गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्होंने सेना के अस्पताल में वीरगति प्राप्त की थी। भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले राज्य (uttarakhand) के इस वीर सपूत की स्मृति में उनके पैतृक गांव का इंटर कॉलेज अब शहीद राकेश चंद्र रतूड़ी राजकीय इंटर कॉलेज सांकरसैंण के नाम से जाना जाएगा। यह वही इंटर कॉलेज है जिसमें शहीद राकेश ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। प्रदेश (uttarakhand) के उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बीते गुरुवार को विधानसभा क्षेत्र श्रीनगर के ग्राम सभा घण्डियाली में काण्डा घण्डियाली बरतोली मार्ग, राप्रावि चुठाणी के भवन का शिलान्यास किया इसी दौरान उन्होंने जीआईसी सांकरसैंण के नए नामाकरण का शासनादेश भी विद्यालय के प्रधानाचार्य को सौंपा। बता दें कि शहीद राकेश मूल रूप से राज्य (uttarakhand) के पौड़ी गढ़वाल के पाबौ ब्लॉक की बाली कंडारस्यूं पट्टी स्थित सांकर सैंण गांव के रहने वाले थे और उनके पिता महेशानंद रतूड़ी भी नौसेना से रिटायर्ड थे।
इसी स्कूल से की थी शहीद राकेश ने पढ़ाई, अब उन्हीं के नाम से जाना जाएगा
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22 फरवरी को भतीजी की शादी में आना था घर लेकिन 11 फरवरी को ही आ गई राकेश के शहादत की खबर:- गौरतलब है कि देहरादून जिले के प्रेमनगर के बड़ोवाला निवासी राकेश रतूड़ी बीते 10 फरवरी 2008 को सीमा पर आतंकियों से लोहा लेते हुए गम्भीर रूप से घायल हो गए थे और उन्होंने अस्पताल में उपचार के दौरान मां भारती के साथ ही अपने परिजनों को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था लेकिन सीमा पर आतंकियों के साथ दो-दो हाथ करके उन्होंने अपना यह बलिदान इतिहास के स्वर्णिम प्रन्नों पर अंकित करा लिया। बता दें कि राकेश 1996 में फौज में भर्ती हुए थे और उनकी शिक्षा-दीक्षा भी इसी राजकीय इंटर कॉलेज सांकरसैंण में हुई। क्षेत्रवासियों की मांग पर अब राकेश के इस स्कूल को उन्हीं के नाम से शहीद राकेश चंद्र रतूड़ी राजकीय इंटर कॉलेज सांकरसैंण के नाम से जाना जाएगा। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने गुरुवार को इसकी जानकारी क्षेत्रवासियों को दी। इस अवसर पर क्षेत्रवासियो का कहना था कि आज उनकी मांग पूरी हुई और यही उनकी ओर से शहीद राकेश को सच्ची श्रद्धांजलि भी है। अब क्षेत्र के बच्चे-बच्चे की जुबां पर देश के इस वीर सपूत का नाम होगा। बताते चलें कि शहीद राकेश 22 फरवरी को अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए देहरादून आने वाले थे लेकिन इससे पहले ही आई उनकी शहादत की खबर ने परिवार में कोहराम मचा दिया था।
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