उत्तराखण्ड: घने जंगल में दो वर्ष तक गुफा में जीवन बिताने के बाद अब मिला महिला को आशियाना
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सरकारें कहती रहती है कि वह देश-प्रदेश के अंतिम व्यक्ति के साथ हमेशा खड़ी हैं। राज्य के किसी भी व्यक्ति की परेशानी उसकी परेशानी हैं। परंतु इस वाक्य में कितनी हकीकत है इसे उस महिला की हृदयविदारक हालत से आसानी से समझा जा सकता है जो पिछले करीब डेढ़-दो साल से घने जंगल से सटे सड़क के नीचे एक स्क्रबर में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। आपको यह सब एक कोरी कहानी लग रही होगी परन्तु वास्तव में यह एक हकीकत है। एक ऐसी हकीकत जो किसी पत्थर दिल इंसान को भी पिघला सकती है परन्तु शासन-प्रशासन पर बैठे लोगों को नहीं। मामला राज्य के चम्पावत जिले के बाराकोट विकासखंड का है जहां एक महिला बीते डेढ़-दो साल से एक स्क्रबर के नीचे रह रही है। उसके पास न तो रहने को घर है ना ही बिजली-पानी की व्यवस्था और ना ही उज्ज्वला योजना से मिला कोई गैस सिलेंडर। महिला के पास है तो केवल और केवल दुखों का ऐसा पहाड़ जिसमें दिन भर वो गांव-घरों में काम करती है और रात को उस स्क्रबर के नीचे सो जाती है, जहां दिन में भी उजाले की कोई किरण पहुंच ना पाए। इस घटना को देखकर तो हम इतना ही कह सकते हैं कि जहां मानव आज के आधुनिक युग में चांद पर जाने के सपने देखता है और आधुनिक बनने की हर संभव कोशिश करता है वहीं हमारे देश में इस महिला की तरह कुछ लोग ऐसे हैं जो आज भी आदिवासियों की तरह जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के चम्पावत जिले के बाराकोट विकासखंड में कैलाड़ी तोक में स्थित धारागाड़ विद्युत सब स्टेशन के पास एक अधेड़ महिला बीते डेढ़-दो साल से स्क्रबर के नीचे रहने को मजबूर है। महिला का नाम जयंती देवी बताया गया है। महिला का कहना है कि वह पिछले डेढ़ या दो साल से स्क्रबर में रह रही हैं। रहने के लिए कहीं जगह न मिलने के कारण उसे कलवर्ट के नीचे रहने को मजबूर होना पड़ा। पाषाण काल की यादें ताजा करने वाले इस महिला के आदिवासियों वाले जीवन का खुलासा तब हुआ जब बृहस्पतिवार को लड़ीधूरा शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष नगेंद्र कुमार जोशी महिला से मिलने वहां गए, जिसके बाद एस•डी•बगोली द्वारा एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। बशर्ते सोशल मीडिया में महिला का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस-प्रशासन द्वारा महिला को फरतोला गांव में एक खाली पड़े पुराने घर में आशियाना तो मुहैया करा दिया गया लेकिन सवाल अभी भी वहीं है कि क्या शासन-प्रशासन ऐसे लोगों के फोटो-विडियो वायरल होने का ही इंतजार करेगा या अपनी ओर से खुद भी कभी यह जानने की कोशिश करेगा कि उसके नागरिक किस हाल में हैं??
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