Uttarakhand: नेटवर्क विहीन क्षेत्रों में फेल हुई आनलाइन पढाई(Online education), रूद्रप्रयाग के बच्चों के लिए फरिश्ता बनी शिक्षिका रचना, गांव-गांव जाकर पढ़ा रही..
डिजिटल क्रांति के इस युग में जहां आनलाइन माध्यमों से लोगों को काफी सहूलियत मिली है वहीं राज्य (Uttarakhand) के दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र आज भी नेटवर्क की पहुंच से दूर है। वैसे तो आज हर क्षेत्र में डिजिटल माध्यमों को बढ़ावा मिल रहा है परन्तु कोरोना के कारण अब इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पढ़ने लगा है। जहां पहले तक केवल मैदानी इलाकों के बच्चे अपने को अपडेट रखने तथा अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए मोबाइल पर गूगल, यूट्यूब आदि का सहारा लेते थे वहीं अब कोरोना के बाद से यह मोबाइल सभी बच्चों के लिए बहुत जरूरी हो गया है। मैदानी क्षेत्रों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक सभी जगह बच्चों की आनलाइन माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है। परंतु पहाड़ के दूरस्थतम नेटवर्क विहीन क्षेत्रों में इस आनलाइन पढ़ाई (Online education) का कोई फायदा नहीं हो पा रहा है। रूद्रप्रयाग जिले के ऐसे ही नेटवर्क विहीन क्षेत्रों में शिक्षिका रचना रावत ने एक ऐसी मुहिम चलाई है जिसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। जी हां.. रचना नेटवर्क विहीन ऐसे क्षेत्रों में गांव-गांव जाकर बच्चों को पढ़ा रही है। उनकी इस सराहनीय मुहीम से जहां इस महामारी के दौर में भी पहाड़ के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर पा रहे हैं वहीं उनके इस प्रयास की अधिकारियों सहित अभिभावकों व अन्य शिक्षकों ने भी जमकर सराहना की है।
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राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में गणित, विज्ञान की शिक्षिका के रूप में तैनात हैं रचना, तीन दिन सेमी और तीन दिन भैंसारी गांव जाकर पढ़ा रही बच्चों को:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार रूद्रप्रयाग जिले के केदारघाटी में आज भी कई गांव नेटवर्क की पहुंच से कोसों दूर है। इन्हीं गांवों में सेमी-भैंसारी भी शामिल हैं जहां के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में रचना रावत एक शिक्षिका के रूप में तैनात हैं। रचना विद्यालय में बच्चों को गणित और विज्ञान पढ़ाती है। कोरोना के इस दौर में जब सेमी-भंसारी के बच्चे आनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे तो शिक्षिका रचना रावत ने दोनों गांवों में खुद जाकर बच्चों को पढ़ाने का फैसला लिया। अपने फैसले पर अमल करते हुए उन्होंने बच्चों और उनके अभिभावकों को इसकी सूचना दी। अभिभावकों की सहमति पर अब वह सप्ताह में तीन दिन सेमी और तीन दिन भैंसारी गांव जाकर कक्षा छह से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को गणित, विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ा रही हैं। इस दौरान कोरोना के नियमों का ध्यान भी रखा जा रहा है और रचना खुद मास्क लगाकर बच्चों को भी सामाजिक दूरी एवं मास्क आदि लगाने को प्रेरित भी कर रही है। रचना की इस मुहिम को जहां अभिभावकों ने अपने सहमति प्रदान कर पहले ही समर्थन दे दिया वहीं बच्चे भी नियमित रूप से पढ़ने के लिए उपस्थित हो रहे हैं। इस संबंध में खुद रचना का कहना है कि कक्षा में नियमित रूप से सभी बच्चों की उपस्थिति उन्हेंं प्रोत्साहित करती है। बच्चों की पढ़ाई के प्रति इसी लगन को देखते हुए वह प्रतिदिन गांव जाकर उन्हें पढ़ाती है ताकि वे भविष्य में आगे बढ़ सकें।
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