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pithoragarh hari dutt joshi got defence medal after Thirty years after his death. Defence medal

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: मौत के तीस साल बाद सूबेदार जोशी को मिला रक्षा पदक तो बेटे के झलक आए आंसू

स्व. हरि दत्त जोशी को मरणोपरांत रक्षा पदक(Defence Medal) मिलने पर परिवारीजनों ने कहा कि वीर कभी नहीं मरते बल्कि वे देशवासियों के दिलों में अमर रहते हैं

उत्तराखंड के ऐसे अनेक वीर जाबांज योद्धा हैं जिनक मौन मूक शहादत जरूर समाचार पत्रों और मिडिया के माध्यम से सुर्खियों में ना रही हो। लेकिन देश की रक्षा के लिए दि गई उनकी शहादत का कोई मोल नहीं है। आज हम बात कर रहे पिथौरागढ़ के बर्तियाकोट (बिबुल) निवासी सूबेदार हरि दत्त जोशी की जिन्हे मृत्यु के 30 साल बाद ईएमई रिकॉर्ड ऑफिस से प्रतिष्ठा और बहादुरी का प्रतीक रक्षा पदक(Defence Medal) मिला है। जब 20 जुलाई को उनके छोटे बेटे पुष्कर चंद्र जोशी को टनकपुर (बिचई) में यह पदक दिया गया तो उनकी आँखे छलक आई बोले अगर पिता जी को उनके जीवित रहते यह सम्मान मिलता तो उनी खुशी का ठिकाना न होता। साथ ही परिवार की खुशी भी दुगनी होती। सबसे खास बात तो यह है कि सैनिक पुनर्वास कल्याण के पत्राचार और अथक प्रयासों के बाद यह सम्मान उन्हे मिल पाया है।
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स्व. हरि दत्त जोशी वर्ष 1958 में भारतीय सेना में शामिल हुए। उन्होंने देश के लिए 1962, 1965 और वर्ष 1971 के युद्धों में अपनी बहादुरी का परिचय दिया था। वर्ष 1990 में टनकपुर में उनका निधन हो गया। बताते चलें कि मरणोपरांत रक्षा पदक मिलने पर परिवारीजनों ने कहा कि वीर कभी नहीं मरते बल्कि वे देशवासियों के दिलों में अमर रहते हैं। बताते चलें की उनका छोटा बेटा पुष्कर टनकपुर में, बड़ा बेटा डॉ. ललित मोहन जोशी एडिलेड ऑस्ट्रेलिया और बेटी गीता जोशी गंगोलीहाट में रहतीं हैं।
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