Revenue Police System uttarakhand: उत्तराखंड मे पूरी तरह से खत्म होगी राजस्व पुलिस व्यवस्था, रेगुलर पुलिस के हाथों मे होगी सुरक्षा की कमान………..
Revenue Police System uttarakhand: गौरतलब है कि उत्तराखंड एक अकेला ऐसा राज्य है जहाँ पर आज भी अंग्रेजों के जमाने की राजस्व पुलिस शासन व्यवस्था बहुत समय से कायम है लेकिन इस बदलते दौर में यह शासन व्यवस्था अपराधों पर अंकुश लगाने में कारगर साबित नहीं हो पा रही है। जिसके चलते लंबे समय से इस व्यवस्था को बदलने की मांग की जा रही थी। इन मांगों को ध्यान में रखते हुए अब हाईकोर्ट नैनीताल ने उत्तराखंड सरकार को एक वर्ष के भीतर उत्तराखंड मे राजस्व पुलिस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म करने के साथ ही रेगुलर पुलिस व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब हो कि ऋषिकेश के वंत्ररा रिजोर्ट में हुए अंकिता हत्याकांड के बाद उत्तराखंड सरकार स्वयं राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म करने का फैसला ले चुकी है। इस हत्याकांड के बाद स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा फैसला लेते हुए ग्रामीण इलाकों में भी पुलिस व्यवस्था सुदृढ़ करने की बात कही थी। मुख्यमंत्री के दिशानिर्देशों के बाद कई क्षेत्रों में नए पुलिस थाने, चौकियां भी खोल दी गई है। परंतु अभी भी अधिकांश ग्रामीण इलाकों में राजस्व पुलिस व्यवस्था ही लागू है।
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uttarakhand Police
प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को एक वर्ष के भीतर उत्तराखंड में लंबे समय से कायम राजस्व पुलिस व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म करने के पश्चात रेगुलर पुलिस व्यवस्था को लागू करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल बीते मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी एवं न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी। देहरादून की समाधान संस्था ने प्रदेश में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर जनहित याचिका दायर की थी और इस याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने इस संबंध में वर्ष 2018 में राज्य सरकार को कई दिशा निर्देश दिए थे मगर उन दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया। जिसके चलते याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों का पूर्ण तरह से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए तथा हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई की है। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में रेगुलर पुलिस की व्यवस्था की जा चुकी है और बचे क्षेत्रों में यह व्यवस्था लागू करने के प्रयास जारी है। सुनवाई के पश्चात मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार को कहा कि एक वर्ष के भीतर पूरे उत्तराखंड में रेगुलर पुलिस व्यवस्था के हाथों मे सुरक्षा की कमान सौंपी जाए और इसके साथ ही खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित भी कर दिया।
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राजस्व पुलिस व्यवस्था
Uttarakhand High court nainital उत्तराखंड मे राजस्व पुलिस व्यवस्था लगभग एक सदी पहले अंग्रेजों द्वारा लाई गई थी जब पहाड़ी इलाकों में अपराध कम हुआ करते थे और इस व्यवस्था का उद्देश्य नियमित पुलिस की तैनाती न कर पैसे और संसाधनों की बचत करना था। जो अंग्रेजों की अनूठी राजस्व पुलिस प्रणाली के तहत राजस्व विभाग के सिविल अधिकारियों के पास ही नियमित पुलिस की शक्तियां और जिम्मेदारियां होती थी। इतना ही नही जब भी कोई अपराध होता तो क्षेत्र की राजस्व पुलिस ही प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच किया करती है और फिर आरोपी को हिरासत में लेकर स्थानीय अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया करती है तथा हत्या बलात्कार या अनुसूचित जाति एससी और अनुसूचित जनजाति (एसटी ) के खिलाफ जघन्य अपराधों को नियमित पुलिस को स्थानांतरित कर दिया जाता है हालांकि इस प्रक्रिया में कई दिन और कभी- कभी कई महीने लग जाते थे क्योंकि राजस्व पुलिस पहले जिला पुलिस अधीक्षक एसपी को सूचना देती थी और इस सूचना के आधार पर एसपी नियमित पुलिस स्टेशन को मामला सौंपते थे। इस तरह से मामलों में देरी होने के कारण सबूत गायब हो जाया करते या अन्य किसी वजह से केस कमजोर हो जाता था। इतना ही नहीं इसके साथ ही राजस्व पुलिस के हाथों में भूमि से लेकर खेती तक के मामलों की भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
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