Uttarakhand Roadways latest news: उत्तराखंड रोडवेज की पुरानी बसें बिना साइड मिरर तथा टायरों में रबड़ चढ़ाकर दौड़ रही हैं सड़कों पर, यात्रियों की जिंदगी संकट में
उत्तराखण्ड रोडवेज की बसों की खस्ता हालत की खबरें आए दिन सामने आती रहती है। कभी अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही तो कभी कल पुर्जों की कमी के कारण न केवल ये बसें बीच रास्ते में बंद होकर यात्रियों की फजीहत कर रही है बल्कि इससे कई बार यात्रियों की जान भी सांसत में पड़ जाती है। बात कुमाऊं मंडल की करें तो यहां से संचालित होने वाली करीब 60 फीसदी बसों के टायरों में रबर चढ़े हुए हैं तो कई बसें एक वाइपर, बिना साइड मिरर और मंदी हैडलाइट के सड़क पर दौड़ रही है, जिससे कभी भी कोई अनहोनी घटित हो सकती है, जिसके बाद एक बार फिर सरकार होश में आएगी और जांचों का दौर शुरू हो जाएगा।(Uttarakhand Roadways latest news)
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परिवहन निगम की वर्कशॉप में स्पेयर पार्ट्स की बेहद अधिक कमी है, बसों के 7-8 साल पुरानी होने से उनमें अक्सर खराबी आते रहती है परन्तु स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण या तो बसे हफ्तों तक रोडवेज वर्कशॉप में खड़ी रहती है या फिर उसी हालत में सड़कों पर दौड़ती हुई बीच रास्ते में ही बंद पड़ जाती है। अगर बात रोडवेज के हल्द्वानी काठगोदाम डिपो की ही करें तो यहां से रोडवेज की 110 बसों का संचालन किया जाता है, जिनमें से 40 से अधिक बसें केवल एक वाइपर के सहारे सड़कों पर दौड़ रही है। इस संबंध में चालक सुरेश ने बताया कि तेज बारिश होने पर एक वाइपर द्वारा शीशा साफ नहीं हो पाता, जिससे कई बार सामने से आने वाले वाहन, एवं सड़क की स्थिति का पता नहीं चल पाता और हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है।
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इतना ही नहीं रोडवेज के पास टायरों का इतना टोटा पड़ा है कि करीब 60 फीसदी बसें रबर चढ़े टायरों के सहारे सड़कों पर दौड़ रही है। जो बरसात में काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। हालांकि कोर्ट की सख्ती के बाद रोडवेज द्वारा अगले पहियों के टायरों में रबर नहीं चढ़ाई था रही है, परंतु टायरों की कमी के कारण रोडवेज कर्मचारी पिछले पहियों में रबर चढ़ी टायरों का ही प्रयोग करने को मजबूर हैं। इसके अतिरिक्त कई बसों में साइड मिरर ही नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वाहन चालक खुद के साइड मिरर के सहारे बस चलाने को मजबूर हैं और इन छोटे छोटे मिररों के सहारे पीछे से आ रहे वाहनों को देखना भी कई बार चालकों के लिए मुश्किल होता है। यात्रा समाप्ति के बाद बस चालक साइड मिरर खोलकर अपने घरों को ले जाते हैं। इसके अलावा रोडवेज की 25 से अधिक बसों में जहां डीजल फिल्टर लीक है वहीं 32 से अधिक बसों की हैडलाइट भी सही नहीं है, ऐसी स्थिति में रोडवेज की ये खस्ताहाल बसें कभी भी एक बड़ी दुर्घटना को दावत दे सकती है।