उत्तराखण्ड
उत्तराखंड: नई शिक्षा नीति -2020 लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड
Uttarakhand new education policy: उत्तराखंड में आज से लागू हुई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मुख्यमंत्री धामी द्वारा किया गया उद्घाटन
उत्तराखंड शिक्षा के क्षेत्र में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। बता दे कि उत्तराखंड में आज से नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है।बताते चले कि विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा पहले से ही इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। शिक्षा महानिदेशालय में मुख्यमंत्री धामी बालवाटिकाओं का उद्घाटन कर प्रदेश में नई शिक्षा नीति का शुभारंभ करेंगे। राज्य के सभी जनपदों में विकासखंड स्तर पर चिन्हित आंगनबाड़ी केन्द्रों की बाल वाटिकाओं का क्षेत्रीय विधायक तथा स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा उद्घाटन किया जाएगा।जिसमें सभी शिक्षाविद्, अभिभावक एवं छात्र-छात्राएं भी शामिल होंगे।(Uttarakhand new education policy)
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वही इस पर शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि अभी राज्य में बीस हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रो का संचालन किया जा रहा हैं। जिनमे प्रथम चरण में शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में संचालित पांच हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों में नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत बालवाटिका कक्षाओं का संचालन किया जायेगा। उनके अनुसार राज्य मे 20 हजार 67 आंगनबाड़ी केन्द्रो को स्वीकृत दी गई है इनमे 20 हजार 17 आंगनबाड़ी केन्द्रो का संचालन किया जा रहा हैं।पुरानी शिक्षा नीति के अनुसार पाठ्यक्रम 10+2 के आधार पर संचालित होता था।लेकिन अब नई शिक्षा नीति के अंतर्गत कक्षाएं प्री प्राइमरी से ही शुरू की जाएगी तथा नई नीति मे शैक्षणिक संरचना को 5 + 3 + 3 + 4 में विभाजित किया गया है। 5+3+3+4 के अनुसार पहले भाग में प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक, दूसरे हिस्से में तीसरी से पांचवीं कक्षा तक, तीसरे हिस्से में छठी से आठवीं कक्षा तक और चौथे हिस्से में नौंवी से बारहवीं कक्षा को विभाजित किया गया है।
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नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत:
● पांचवी कक्षा तक के छात्र छात्राओ को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा तथा राष्ट्र भाषा में ही अध्ययन कराया जाएगा।
●भाषा के चुनाव हेतु विद्यार्थियों पर किसी भी प्रकार की बाध्यता नहीं होगी। उनके लिए संस्कृत एंव अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं को पढने के विकल्प भी दिये जाएंगे।
●कक्षा 10 बोर्ड की अनिवार्यता को ख़त्म कर सिर्फ 12वीं बोर्ड की ही परीक्षा देनी होगी।
●ग्रेजुएशन की डिग्री भी 3 से 4 वर्ष की होगी।
●ग्रेजुएशन की 1 वर्ष की पढ़ाई करने के पश्चात यदि कोई छात्र किसी कारणवश अपनी पढ़ाई को छोड़ देता है तथा बादमे अपनी पढ़ाई को पूरा करना चाहता है तो वह अपनी पढाई वहीँ से प्रारंभ कर सकता है जहाँ से उसने अपनी पढाई को छोड़ा दिया था।
●छात्रो को कॉलेज के प्रथम वर्ष की पढाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, तथा दूसरे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा एंव तीसरे तथा चौथे वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर डिग्री दी जाएगी।
●4 वर्ष की डिग्री लेने वाले छात्र एक वर्ष में ही बीए तथा एमए कर सकेंगे।वही 3 वर्ष की डिग्री उन छात्रो के लिए है जिन्हे एमए नही करना है।
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