Anisha Ranghar Biography: बेहद रोचक है विज्ञान वर्ग की छात्रा का उत्तराखण्ड संगीत जगत में कैरियर बनाने का सफर, हाल ही में उनकी सगाई से सोशल मीडिया पर मचा है बवाल….
Anisha Ranghar Biography
बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की युवा गायिका अनिशा रांगड काफी सुर्खियों में है। बात उनकी सगाई से शुरू हुई थी, जिस पर विवाद इतना बढ़ गया कि उनकी मां को भी विडियो जारी कर होटल में काम करने वाले युवाओं की भर्त्सना करते हुए सुना गया। आज हम इन सब बातों पर चर्चा नहीं करेंगे बल्कि उत्तराखण्ड की युवा गायिका अनिशा रागड़ के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं से आपको रूबरू कराएंगे। जी हां… छोटे से गांव की रहने वाली एक लड़की का यह सफर काफी रोचक है। बता दें कि अनीशा रांगड का जन्म 1 अक्टूबर 2000 को बीना देवी एवं किशोर सिंह रांगड के घर हुआ था। उनके पिता किशोर जहां एक वाहन चालक हैं वहीं उनकी मां बीना एक कुशल गृहिणी हैं। हालांकि वह मूल रूप से राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के लमगांव प्रताप नगर क्षेत्र के क्यारी गांव की रहने वाली है। उनके परिवार में माता पिता के अलावा 4 छोटी बहिने और एक छोटा भाई भी है।
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एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली अनिशा ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा श्री लाल बहादुर शास्त्री जूनियर हाई स्कूल ऋषिकेश से प्राप्त करने के उपरांत हाईस्कूल की परीक्षा THDC हाई स्कूल ऋषिकेश से उत्तीर्ण की तदोपरांत उन्होंने राजकीय कन्या इंटर कॉलेज ऋषिकेश से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। इंटरमीडिएट के पश्चात उन्होंने उन्होंने वर्ष 2020 में बीएससी की डिग्री प्रथम डिवीज़न से हासिल की। आज अनिशा उत्तराखण्ड संगीत जगत का एक ऐसा नाम है जिन्होंने अपने खूबसूरत गीतों पर लोगों को थिरकने को मजबूर किया है। अनिशा अब तक 400 से भी ज्यादा “गढ़वाली”, “कुमाऊनी”, और “जौनसारी” गाने गा चुकी है। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपनी मां बीना से ही सीखीं है। इस संबंध में मीडिया से बातचीत में वह बताती है कि उनकी माता की आवाज बेहद सुरीली है। वो भी एक सिंगर बनना चाहती थी परन्तु परिवार की स्थिति कुछ अच्छी न होने के कारण ये हो न सका। परन्तु वो अनीशा को हमेशा संगीत के लिए प्रेरित करती रही और अपने सपनो को अपनी बेटी में देखती रही। अनीशा बताती है कि उनकी माता हिंदी सॉन्ग्स बहुत ही बेहतरीन तरीके से गाती है। इसी का नतीजा है कि अनिशा बचपन से स्कूल कॉलेज के प्रोग्रामो में भी भाग लेती रही। और फिर उन्होंने छोटे मोटे अन्य कार्यक्रमों में भी प्रतिभाग करना शुरू कर दिया।
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विज्ञान वर्ग की एक छात्रा का सुप्रसिद्ध गायिका बनने का यह सफर बेहद रोचक है। इसके बारे में जानकारी देते हुए अनिशा मीडिया को बताती है कि एक दिन उनकी मुलाकात किसी जानकर के द्वारा सोहनपाल रावत से हुई । सोहनपाल ने उनसे मोबाइल नंबर लिया और चले गए। फिर कुछ समय बाद सोहनपाल ने उन्हें फोन कर कहा कि मैंने सुना है कि आप अच्छा गा लेती हो तो क्या तुम मुझे अपनी आवाज में कोई गाना रिकॉर्ड करके भेज सकती हो ?” गीत भेजने पर सोहनलाल को उनकी मधुर आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने बिना कोई देर किए अनीशा को एक गाना ऑफर कर दिया। जिसकी रिकार्डिंग देहरादून में की गई। यही उनकी मुलाकात उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध गायक केशर पंवार से हुई और दोनों की बेहतरीन जुगलबंदी में अनिशा का पहला गीत “खिलोरियाँ प्राण” रिलीज हुआ। जिसे दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया। इसके बाद इस जोड़ी ने उत्तराखण्ड संगीत जगत को अनेकों खूबसूरत गीत देकर लोगों के दिलों दिमाग में एक अमिटनीय छाप छोड़ी। बात अनिशा के सुप्रसिद्ध गीतों की करें तो इनमें “कैन भरमाई (कोदु झंगोरु राठी)”, “छल कपट“, “कैन भरमाई“, “द्वि राति कू जाप“, “पिंक पलाज़ो“, “तमाशु बुडली कू“, “6 नंबर पुलिया“, “काजल काजल“, “स्वानीलो मुलुक“, “रचना“, “मैं छों नोनी पौड़ी की“, “नथुली“, “तेरु बुबा बदलिगे“, “बोल बामणी“, “मेरी जोगिणी“, “तू मेरी बामणी“, “काली टिक्की”, “रात खुली” आदि शामिल हैं।