पुष्कर राज में उत्तराखंड (Uttarakhand) को मिल सकता है पहला उपमुख्यमंत्री (Deputy CM), ऋतु खंडूड़ी के नाम पर हो रही है चर्चा, शपथग्रहण समारोह से पहले ही भाजपा में बगावत शुरू, करीब तीन दर्जन विधायकों के साथ हरक और महाराज ने दिल्ली में डाला डेरा..
भले ही बीते शनिवार को विधायक दल की बैठक में राज्य (Uttarakhand) का नया मुखिया चुने जाने वाले पुष्कर सिंह धामी आज शाम को पद और गोपनीयता की शपथ लेने जा रहे हो परन्तु राज्य में अभी तक सियासी बवंडर पूरी तरह थमा नहीं है। पुष्कर धामी के मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद से भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, विधायक नाराज बताए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन नेताओं में सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत भी शामिल हैं। बताया गया है कि बीती शाम ही दोनों नेताओं ने देश के गृहमंत्री एवं भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह से फोन पर बात कर मुलाकात का समय मांगा है। खबर तो यह भी आ रही है करीब तीन दर्जन से ज्यादा विधायकों के साथ ये नेता दिल्ली भी पहुंच गए हैं। उधर दूसरी ओर पुष्कर धामी के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां भी बड़े जोर-शोर से चल रही है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पुष्कर की कैबिनेट में ज्यादातर पुराने मंत्रियों को ही शामिल किया जाएगा। अलबत्ता चर्चा तो यह भी चल रही है कि क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए भाजपा गढ़वाल मंडल के किसी विधायक को डिप्टी सीएम (Deputy CM) भी बना सकती है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार नया मुख्यमंत्री मिलने के बाद अब पुष्कर राज में उत्तराखंड को अपना पहला उप मुख्यमंत्री भी मिल सकता है। क्षेत्रीय एवं जातीय संतुलन साधने में जुटी भाजपा गढ़वाल मंडल के किसी विधायक को प्रदेश का पहला उप मुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) बना सकती है। सूत्रों की मानें तो यमकेश्वर विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री ऋतु खंडूड़ी को यह पद थमाया जा सकता है। ऋतु खंडूड़ी के जरिये जहां गढ़वाल मंडल का कैबिनेट में प्रतिनिधित्व बढ़ जाएगा वहीं मंत्रिमंडल में महिला सदस्यों की कमी भी स्वत: ही दूर हो जाएगा। हालांकि उप मुख्यमंत्री पद पर नए चेहरे को आजमाया जा सकता है या किसी पुराने को यह जिम्मेदारी दी जाएगी, इसे लेकर भी भाजपा में अंदरखाने गहन मंथन जारी है। वहीं मुख्यमंत्री बदले जाने के बावजूद कैबिनेट में फेरबदल के आसार काफी कम है। हालांकि एक दो नए विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है लेकिन कैबिनेट में ज्यादातर मंत्री तीरथ सरकार के ही रहेंगे। इसकी वजह अगले विधानसभा चुनाव में काफी कम समय बचा होना है। जिस कारण नए बनाए जाने वाले मंत्रियों के पास कुछ करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं रहेगा।
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