Beena Tewari turkey operation dost: भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे आपरेशन दोस्त के तहत तुर्की में सक्रियता से जुटी हुई है मेजर बीना, कर रही है आपदा पीड़ितों का उपचार….
राज्य के होनहार वाशिंदे जहां अपनी वीरता, देशभक्ति एवं शोर्य के लिए देश विदेश में जाने जाते हैं वहीं पहाड़ के लोगों की दरियादिली, भोलापन और ईमानदारी भी गाहे बगाहे देखने को मिलती रहती है। इसी कड़ी में आज हम आपको भारतीय सेना में तैनात राज्य की एक और ऐसी ही बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसकी तारीफ आज देश विदेश में हो रही है। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के चंपावत जिले के सुई गांव की रहने वाली मेजर डॉक्टर बीना तिवारी की, जो भारत सरकार द्वारा तुर्की में भूकंप के बाद चलाए जा रहे अभियान ‘आपरेशन दोस्त’ में पूरी सक्रियता से जुटी हुई है। यही कारण है कि आज बीना की तारीफ न केवल तुर्की भूकंप के पीड़ितों द्वारा की जा रही है बल्कि उनके द्वारा किए जा रहे निस्वार्थ सेवा भाव की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। आइए अब आपको देवभूमि उत्तराखंड की इस बेटी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
(Beena Tewari turkey operation dost)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली मेजर बीना तिवारी मूल रूप से राज्य के चम्पावत जिले के लोहाघाट क्षेत्र के सुई खैसकांडे गांव की रहने वाली है। वर्तमान में उनका परिवार राजधानी देहरादून के राघव विहार में रहता है। तीसरी पीढ़ी के रूप में अपने परिवार की सैन्य परंपराओं का निर्वहन कर रही बीना के दादा खिलानंद तिवारी जहां कुमाऊं रेजिमेंट में सूबेदार थे वहीं उनके पिता मोहन चन्द्र तिवारी भी 16 कुमाऊं रेजिमेंट के रिटायर्ड सूबेदार मेजर है। तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत सरकार द्वारा भेजे गए राहत दल में बतौर डाक्टर सम्मिलित हुई बीना वर्तमान में 16 पैराफिल्ड रेजीमेंट के सैन्य अस्पताल में कार्यरत हैं। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्ली से एमबीबीएस की पढ़ाई की है। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल क्लेमनटाउन से प्राप्त की है।
(Beena Tewari turkey operation dost)
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आपको बता दें कि तुर्की में उनके द्वारा घायल महिलाओं, बच्चों के उपचार की विडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। इनमें से ही एक विडियो में वह 13 साल की मासूम बच्ची नसरीन और उसकी मां का इलाज करते हुए नजर आ रही है। 13 वर्षीय मासूम नसरीन ने इस भीषण प्राकृतिक आपदा में जहां अपने परिवार के तीन सदस्यों को खोया हैं वहीं उसके पैर में भी फैक्चर है। तुर्की में पीड़ितों के उपचार में जुटी बीना तिवारी का इस संबंध में कहना है कि भले ही उनकी भाषा अलग है, वह तुर्की के लोगों की भाषा को समझने भी नहीं पा रही है परन्तु हमारी भावनाएं एक है। हमारी पूरी टीम इस समय भावनात्मक रूप से आपदा पीड़ितों से जुड़ी हुई है।
(Beena Tewari turkey operation dost)