Kewal joshi almora: आयोजित हुआ श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह, राष्ट्रपति ने प्रदान की 4423 उपाधियां , केवल जोशी को भी मिला गोल्ड मेडल….
Kewal joshi almora
श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कुल 4423 उपाधियां प्रदान की गई। इस दीक्षांत समारोह में माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू एवं मुख्य अतिथि अतिथि भारत सरकार के शिक्षा तथा कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति मुरली मनोहर पाठक ने की। इस दीक्षांत समारोह में अल्मोड़ा जिले के जैंती तहसील के ग्राम बक्सवाड़ के रहने वाले केवल जोशी को आचार्य साहित्य विषय में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर विश्वविद्यालय के डॉक्टर सी आर स्वामीनाथन स्वर्ण पदक गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। केवल जोशी ने अपनी इस उपलब्धि हेतु अपनी माता विमला जोशी, पिता दीप चन्द्र जोशी, दादा उर्वा दत्त जोशी, अपने गुरुजी कीर्ति बल्लभ जोशी एवं मां बाराही देवी देवीधुरा सहृदय आभार व्यक्त किया। केवल की इस उपलब्धि से जहां उनके परिवार में काफी हर्ष का माहौल है वहीं उन्हें बधाई देने वालों का भी तांता लगा हुआ है।
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आपको बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में भाग लिया और इसे संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत हमारी संस्कृति की पहचान और संवाहक रही है। यह हमारे देश की प्रगति का आधार भी रही है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का व्याकरण इस भाषा को अद्वितीय वैज्ञानिक आधार देता है। यह मानवीय प्रतिभा की अनूठी उपलब्धि है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृत आधारित शिक्षा प्रणाली में गुरु या आचार्य को अत्यधिक महत्व दिया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र इस परंपरा का पालन करेंगे और अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता के साथ जीवन में आगे बढ़ेंगे और शिक्षक भी छात्रों को जीवन भर आशीर्वाद देंगे और प्रेरित करेंगे।
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राष्ट्रपति ने कहा कि बुद्धिमान लोग सर्वोत्तम चीजों को स्वीकार करने के लिए अपनी बुद्धि का उपयोग करते हैं। नासमझ लोग दूसरों की सलाह पर कोई चीज़ या तो स्वीकार कर लेते हैं या अस्वीकार कर देते हैं। उन्होंने छात्रों को यह ध्यान रखने की सलाह दी कि हमारी परंपराओं में जो कुछ भी वैज्ञानिक और उपयोगी है, उसे स्वीकार किया जाना चाहिए और जो कुछ भी रूढ़िवादी, अन्यायपूर्ण और उपयोगहीन है, उसे अस्वीकार किया जाना चाहिए। विवेक को सदैव जागृत रखा जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परिकल्पना की गई है कि हमारे युवा भारतीय परंपराओं में विश्वास रखते हुए 21वीं सदी की दुनिया में अपना उचित स्थान बनाएं। हमारे देश में नैतिकता, धार्मिक आचरण, परोपकार और सर्व-कल्याण जैसे जीवन मूल्यों पर आधारित प्रगति में ही शिक्षा को सार्थक माना जाता है। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में उन लोगों के लिए कुछ भी हासिल करना मुश्किल नहीं है, जो हमेशा दूसरों के कल्याण में लगे रहते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी संवेदनशील समाज की पहचान सर्व-समावेशी प्रगति से होती है। उन्होंने श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से छात्राओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने के अधिक अवसर प्रदान करने का आग्रह किया।
इस उपलब्धि का श्रेय केवल ने श्री सिद्ध गुफा योग शिक्षण केन्द्र नई दिल्ली के आचार्य एवं गुरुदेव देवेंद्र ब्रह्मचारी जी को एवं इस श्री सिद्ध गुफा योग शिक्षण केन्द्र को दिया है, इस उपलब्धि को पाने में इस संस्थान ने केवल को सम्पूर्ण सहयोग व देवेन्द्र ब्रह्मचारी ने अपना आशीर्वाद, एवं समय समय पर सहयोग दिया जिस हेतु केवल ने संस्थान का व गुरु देवेंद्र ब्रह्मचारी का आभार व्यक्त किया है ।।