Yashraj Kharai lieutenant Army: सैन्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं यशराज, एनडीए की परीक्षा में हासिल की थी समूचे देश में 17वीं रैंक…
Yashraj Kharai lieutenant Army
हमेशा से ही अपनी मातृभूमि को समर्पित रहने वाले वीरभूमि उत्तराखण्ड के वाशिंदे प्राचीन समय से ही सैन्य क्षेत्रों में जाने को लालायित रहते हैं। मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वोच्च न्यौछावर करने के तैयार रहने वाले राज्य के इन वीर बहादुर सपूतों के कारण ही आज तक उत्तराखण्ड का नाम देश के साथ ही विदेशों में भी बड़े गर्व एवं सम्मान के साथ लिया जाता है। खासतौर पर यहां के होनहार युवा अभी भी अपने परिवार की सैन्य परम्परा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। जो कि मां भारती के प्रति उनके समर्पण को ही प्रदर्शित करता है। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही होनहार युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने भारतीय सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट बनकर न केवल अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है बल्कि अपने क्षेत्र के साथ ही समूचे प्रदेश को भी गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर क्षेत्र के रहने वाले यशराज सिंह खड़ाई की, जिन्होंने चार वर्ष का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर बीते रोज भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून (आईएमए) में आयोजित हुई पासिंग आउट परेड में सेकंड लेफ्टिनेंट बनने का मुकाम हासिल किया है।
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Yashraj Kharai Someshwar almora
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर क्षेत्र के ग्राम बजेल, पोस्ट रनमन निवासी यशराज सिंह खड़ाई भारतीय सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट बन गए है। एक सैन्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले यशराज के पिता मदन सिंह खड़ाई भी भारतीय सेना से कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए जबकि उनकी मां उमा देवी एक कुशल गृहणी है। परिवार की इस सैन्य परम्परा को आगे बढ़ाने वाले यशराज ने अपनी प्राथमिक शिक्षा आनंद वैली स्कूल सोमेश्वर से प्राप्त की है। तदोपरांत पिता की तैनाती जम्मू में होने के कारण उन्होंने छठी से आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई जम्मू से प्राप्त की। जिसके बाद देहरादून से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत वर्ष 2019 में उनका चयन एनडीए में हो गया। जिसके परीक्षा परिणामों में उन्होंने आल इंडिया लेबल पर 17वीं रैंक हासिल की थी। तदोपरांत उन्होंने प्रशिक्षण के लिए आईएमए देहरादून में प्रवेश लिया जहां चार वर्ष के कठिन प्रशिक्षण के बाद वह भारतीय सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट बन गए हैं। इस दौरान वहां मौजूद उनके माता-पिता ने उनके कंधों पर सितारे सजाकर स्वयं बेटे को भारतीय सेना को समर्पित किया।
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