Samaira Rawat rashtriya Ratna Award: बीते 8 दिसंबर को एम्पावर्ड वूमेन एंड अचीवर्स फाउंडेशन, दिल्ली द्वारा आयोजित 17वें राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में किया गया समायरा रावत को सम्मानित…
Samaira Rawat rashtriya Ratna Award
देवभूमि उत्तराखंड की बेटियां हमेशा ही किसी न किसी क्षेत्र में प्रदेश को गौरवान्वित करती आई हैं। आज हम आपको एक ऐसी बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्हें बीते 8 दिसंबर को राष्ट्रीय रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जी हां हम बात कर रहे हैं मूल रूप से श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल निवासी समायरा रावत की जिन्हें बीते 8 दिसंबर को एम्पावर्ड वूमेन एंड अचीवर्स फाउंडेशन, दिल्ली द्वारा आयोजित 17वें राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में राष्ट्रीय रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बहुमुखी प्रतिभा की धनी समायरा रावत के पिता पंकज रावत जहां भारतीय सेना में कर्नल हैं वहीं उनकी मां सारिका रावत एक ग्राफिक डिजाइनर हैं। आपको बता दें कि समायरा एक जिला स्तरीय शतरंज चैंपियन की उपविजेता भी रह चुकी हैं। शिक्षा और खेल जगत में उत्कृष्ट प्रदर्शन के अलावा उनकी प्रतिभा मनोरंजन उद्योग तक फैली हुई है। जहां उन्होंने होपस्कॉच, फ्लिपकार्ट आदि जैसे ब्रांडों के साथ विज्ञापनों और प्रिंट शूट में काम किया है।
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देवभूमि दर्शन से खास बातचीत (Samaira Rawat Srinagar Uttarakhand):-
Samaira Rawat Srinagar Uttarakhand
देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में समायरा की मां सारिका ने बताया कि अभी तक समायरा को निम्न पुरस्कार हासिल हो चुके हैं।
1.राष्ट्रीय रतन पुरस्कार शामिल है
2. नवभारत ज्ञानपीठ पुरस्कार
3.भारतीय कला रतन उत्कृष्टता पुरस्कार
4.अंतर्राष्ट्रीय रूप कथा पुरस्कार
5. अंतर्राष्ट्रीय कला गोल्डन अवार्ड,
6. होप फाउंडेशन द्वारा चैंपियंस ऑफ चेंज अवार्ड
इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 2018 में टैलेंट हंट भी जीता है और प्रियदर्शनी जेसीआई पुरस्कार हासिल किया है। समायरा ने 12 साल की उम्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल कर एक अमिट छाप छोड़ी है। इसके अलावा उन्होंने दिल्ली बुक ऑफ रिकॉर्ड, स्टेट बुक ऑफ रिकॉर्ड और जैकी इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी रिकॉर्ड कायम किया है। उन्होंने बताया कि उनके पति कर्नल पंकज रावत वर्तमान में वह जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। जिस कारण समायरा भी जम्मू-कश्मीर से ही अपनी शिक्षा ग्रहण कर रही है। वह यहां सातवीं कक्षा की छात्रा है। उन्होंने बताया कि समायरा की परीक्षाएं 4 दिसंबर से 9 दिसंबर तक चल रही थीं जिस कारण वह बीते 8 दिसंबर को दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकीं। इसलिए उसके चचेरे भाई ने उसकी ओर से पुरस्कार लिया।
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