Jayanti Thapliyal Boston Marathon: बचपन से अभावों में पलने के बावजूद हासिल किया बड़ा मुकाम, अब अमेरिका में करेंगी प्रतिभाग….
Jayanti Thapliyal Boston Marathon
राज्य की होनहार बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। अपनी काबिलियत के दम पर सफलता के ऊंचे ऊंचे मुकाम हासिल करने वाली राज्य की इन प्रतिभावान बेटियों से हम आपको आए दिन रूबरू कराते रहते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही होनहार बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जो अमेरिका में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही है। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले की रहने वाली जयंती थपलियान की, जिन्होंने अमेरिका में आयोजित होने जा रही बोस्टन मैराथन में अपना स्थान पक्का कर लिया है। अब वह बैंक आफ अमेरिका की ओर से आगामी 15 अप्रैल को आयोजित होने वाली 128वीं बोस्टन मैराथन दौड़ में भारत की ओर से प्रतिभाग करेंगी। उनकी इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं उनके घर पर बधाई देने वालों का भी तांता लगा हुआ है।
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Jayanti Thapliyal pauri garhwal
आपको बता दें कि बचपन से अभावों में जीवन यापन करने वाली जयंती के पिता दिल्ली में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे। जिस कारण प्राथमिक शिक्षा गांव से प्राप्त करने के उपरांत जयंती दिल्ली चली गई। वहीं से उनकी शिक्षा दीक्षा हुई। अपने दो अन्य भाई बहनों के साथ ही जयंती की बचपन से ही स्पोर्ट्स में रूचि थी, परंतु पिता का वेतन इतना अच्छा नहीं था कि वह अपने तीनों बच्चों को अच्छे स्टेडियम में प्रेक्टिस करा सके ना ही उनके पास अच्छे कोच की फीस देने के लिए इतनी रकम ही थी। जिस कारण वह दिल्ली से बाहर की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग नहीं कर पाती थी। हालांकि दिल्ली में स्कूल और कालोनी में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में वह न केवल प्रतिभाग करती थी बल्कि अपने शानदार प्रदर्शन से प्रतिद्वंद्वियों को भी दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर कर देती थी। इन अभावों से जूझते हुए भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी, और लगातार खेलों में प्रतिभाग करती रही। कई अंतराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों के साथ राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने के उपरांत उन्होंने वर्ष 1999 में स्पोर्ट्स कोटे से डिफेंस सेक्टर ज्वाइन किया। वर्तमान में रक्षा मंत्रालय में नौकरी करने वाली जयंती के पति भी एक नौकरी करते हैं। जयंती का एक बेटा भी है। वह अभी तक 6 बार एडीएचएम स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुकी हैं।
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