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Chamoli bhukamp earthquake today: चमोली में भूकंप के झटको से डोली धरती
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earthquake bhukamp felt in chamoli district Uttarakhand breaking news today: चमोली जिले के कई क्षेत्रों में महसूस किए गए भूकंप के तेज झटके, जमीन की सतह से 5 किमी गहराई में बताया गया केंद्र
earthquake bhukamp felt in chamoli district Uttarakhand breaking news today: उत्तराखण्ड से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर राज्य के चमोली जिले से सामने आ रही है जहां अभी कुछ देर पहले भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। बताया गया है कि भूकंप के ये तेज झटके रविवार सुबह करीब दस बजकर सत्ताइस मिनट पर चमोली जिले के कर्णप्रयाग, नंदानगर, नारायणबगड़, थराली और देवाल क्षेत्रों में महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र द्वारा भूकंप का केंद्र चमोली जिले में ही जमीन की सतह से 5 किलोमीटर गहराई पर गोपेश्वर ज्योतिर्मठ के बीच लेटिट्यूड 30.19N, लोंगिट्यूड 79.48E बताया गया है जबकि इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.7 मैग्नीट्यूड आंकी गई है।
बता दें कि जमीन की सतह से गहराई कम होने के कारण 3.7 तीव्रता के इस भूकंप झटके काफी तेज महसूस किए गए। जिससे दहशतज़दा ग्रामीण सारे काम-धाम छोड़कर अपने घरों से बाहर की ओर दौड़ पड़े। पहाड़ में आए इस भूकंप के झटके सोशल मीडिया पर भी महसूस किए गए जहां लोगों ने एक दूसरे से अपनी प्रतिक्रियाएं साझा की।
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अभी तक जन-धन की हानि की कोई खबर नहीं, तहसील स्तर के अधिकारियों से मांगी गई भूकंप से हुए नुकसान की रिपोर्ट
इस संबंध में चमोली के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने मीडिया से बातचीत में भूकंप के झटको की पुष्टि करते हुए बताया कि भूकंप का केंद्र चमोली के आसपास रहा। फिलहाल कहीं से किसी नुकसान की सूचना नहीं है। एहतियाती तौर पर जिले के सभी तहसील स्तर के अधिकारियों से भूकंप से हुए नुकसान की रिपोर्ट तत्काल मांगी गई है। आपको बता दें कि चमोली जिले में इस महीने दूसरी बार भूंकप के झटके महसूस किए गए है। इससे पहले 9 नवंबर और 27 अक्टूबर को भी चमोली जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
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उत्तराखंड अब भूकंप के अति संवेदनशील ‘जोन-6’ में शामिल, नए मानचित्र ने बढ़ाई चिंता
आपको बता दें कि उत्तराखंड भूकंप की दृष्टि से पहले से ही देश के सबसे जोखिम वाले क्षेत्रों जोन 4 और 5 में गिना जाता था, लेकिन अब भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा जारी भूकंपीय क्षेत्रीकरण मानचित्र—रीति संहिता 2025 ने राज्य की संवेदनशीलता को और गंभीर रूप में सामने रखा है। नए वर्गीकरण में उत्तराखंड को अति संवेदनशील जोन-6 में रखा गया है, जो भूकंप जोखिम का सबसे ऊँचा स्तर माना जा रहा है।
खास बात यह है कि इस बार देहरादून ऋषिकेश सहित समूचे हिमालयी क्षेत्र को जोन-6 में सम्मिलित किया गया है। यह बदलाव अचानक नहीं आया, बल्कि पिछले वर्षों में लगातार दर्ज हो रही भू-गतिविधियों और वैज्ञानिक आंकड़ों के आधार पर किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह वर्गीकरण संकेत है कि आने वाले समय में राज्य भर में निर्माण कार्यों को अत्यधिक सावधानी और भूकंपरोधी मानकों के अनुसार ही करना होगा।
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अब तक जोन-4 और जोन-5 में था उत्तराखंड
विदित हो कि नए मानचित्र से पहले उत्तराखंड को दो भूकंपीय जोन में विभाजित किया गया था।
जोन-5 (अधिकतम जोखिम)—रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़
जोन-4 (उच्च जोखिम)—उत्तरकाशी, टिहरी, देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल
लेकिन अब पूरा प्रदेश एक ही श्रेणी—जोन-6, यानी अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र—में शामिल कर दिया गया है। इस बदलाव से यह स्पष्ट है कि राज्य का कोई भी जिला अब भूकंप जोखिम से कम प्रभावित नहीं माना जा सकता।
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कई शहर पहले भी थे उच्च जोखिम की सूची में
बताते चलें कि वर्ष 2021 में लोकसभा में दिए गए एक उत्तर में केंद्र सरकार ने देश के 38 अति संवेदनशील शहरों और कस्बों की सूची जारी की थी। इस सूची में उत्तराखंड के अल्मोड़ा, नैनीताल, देहरादून और रुड़की शामिल थे। यह नई श्रेणी उन आशंकाओं की पुष्टि करती है, जो वैज्ञानिक लंबे समय से उत्तराखंड और हिमालयी पट्टी के बारे में जताते रहे हैं।
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क्यों आता है भूकंप
हमारी धरती की सतह कई बड़ी और छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है, जो लगातार धीमी गति से एक-दूसरे के नीचे और ऊपर खिसकती रहती हैं। हिमालयी क्षेत्र में भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट का टकराव आज भी जारी है। यही टकराव समय के साथ सतह के नीचे तनाव (Stress) बनाता है।जब यह तनाव एक सीमा से आगे बढ़ जाता है, तो प्लेटें अचानक हिलती या टूटती हैं और भीतर जमा ऊर्जा झटके के रूप में बाहर निकलती है—यही भूकंप है। उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति—हिमालयी क्षेत्र में सक्रिय प्लेट सीमाओं पर होना—इसे प्राकृतिक रूप से भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्र में रखता है।
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