जब हौसले हो बुलंद तो उड़ने के लिए पंखो की भी जरुरत नहीं होती , ये पंक्तियाँ उत्तराखण्ड के बुलंद हौसलों वाली घायल एथलीट गरिमा जोशी के लिए एकदम सटीक बैठती है। जहाँ लोग जीवन में घटने वाली छोटी मोटी घटनाओ से विचलित हो जाते है, वही पहाड़ की इस बेटी ने अपने साथ हुई भीषड़ सड़क दुर्घटना से उभकर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया। खेल के प्रति उनका जज्बा ऐसा बरकरार है, की दिल्ली में तीन बार व्हील मैराथन दौड़ जीत चुकी हैं। भारत की ओर से गरिमा मैराथन दौड़ में टॉप 6 में रह चुकी हैं ।
बता दे की टीसीएस वर्ल्ड 10 की अंतरराष्ट्रीय मैराथन दौड़ में हिस्सा लेने बंगलूरू गई धावक गरिमा जोशी को अभ्यास से लौटते वक्त बीते वर्ष 31 मई 2018 को एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मारकर घायल कर दिया था। हादसे में गरिमा की रीढ़ की हड्डी बुरी तरह फ्रैक्चर हो गई थी, और पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। पहले उनका उपचार कर्नाटक मणिपाल अस्पताल में चला। अब वह दिल्ली स्पाइनल इंजरी सेंटर में उपचार करा रही हैं।
शान-ए-हिंद राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा: उनकी इसी जीवटता को देखते हुए गत दिनों उन्हें दिल्ली में शान-ए-हिंद राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। यह पुरस्कार केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले और शहीद चंद्रशेखर आजाद के भतीजे पं. सुरजीत आजाद ने प्रदान किया।
व्हील चेयर दौड़ में पहला स्थान: सफदरजंग अस्पताल की ओर से आयोजित एक किमी की व्हील चेयर दौड़ में गरिमा ने पहला स्थान प्राप्त किया है। जिसके लिए सफदरजंग अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा ने उन्हें सम्मानित किया है। उत्तराखण्ड के लिए बहुत गर्व की बात हैं , की एथलीट गरिमा जोशी घायल होने के बावजूद भी प्रतियोगिताओं में अव्वल आकर प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं।