Joy hukil: पहाड़ में आदमखोर तेंदुए के आतंक का हुआ अंत, मशहूर शिकारी जॉय हुकील की गोली से हुआ ढेर, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस..
राज्य के चमोली जिले से अच्छी खबर आ रही है। जहां एक महीने के भीतर गैरबारम-मलतुरा क्षेत्र के दो मासूम बच्चों को निवाला बनाने वाला तेंदुआ मारा गया है। बता दें कि चमोली जिले के नारायणबगड़ ब्लाक में यह आदमखोर तेंदुआ आतंक का पर्याय बन चुका था। जिसके बाद वन विभाग ने तेंदुए को मारने का आदेश जारी करते हुए मशहूर शिकारी लखपत सिंह रावत और शिकारी जॉय हुकील को उनकी टीमों के साथ गांव में बुला दिया था। बीते कई दिनों से यह शिकारी, वन कर्मियों के साथ तेंदुए की गतिविधियों पर नजर गड़ाए हुए थे। बताया गया है कि आदमखोर तेंदुआ बीते शुक्रवार शाम को मारा गया। शुक्रवार शाम करीब सात बजकर 12 मिनट पर मशहूर शिकारी जॉय हुकील (Joy hukil) की बंदूक से निकली एक गोली ने तेंदुए का खात्मा कर दिया। इसके साथ ही गैरबारम गांव में इस आदमखोर तेंदुए का आतंक भी खत्म हो गया जिससे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। बता दें कि मशहूर शिकारी जॉय हुकील का यह 37वां शिकार था। हुकील इससे पहले 36 आदमखोरों का खात्मा कर लोगों को उनके आतंक से मुक्ति दिला चुके हैं।यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड: आदमखोर गुलदार को मारने बिजनौर के मशहूर शिकारी पहुंचे पहाड़, क्षेत्र में रेड अलर्ट
बीते दिनों ग्राम प्रधान की मासूम बेटी को बनाया था निवाला, जाने तेंदुए का खात्मा करने वाले मशहूर शिकारी हुकील के बारे में:-
गौरतलब है कि राज्य के चमोली जिले के जिले के नारायणबगड़ ब्लाक के गैरबारम गांव के ग्राम प्रधान देवेन्द्र सिंह की 12 वर्षीय पुत्री दृष्टि को बीते 29 जून की शाम एक आदमखोर तेंदुए ने अपना निवाला बना लिया था। तेंदुए ने इससे ठीक एक महीने पहले क्षेत्र के ही मलतुरा में एक नेपाली मूल के बच्चे को भी मौत के घाट उतारा था। इन दोनों ही घटनाओं के बाद से पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल था और क्षेत्रवासियों ने आदमखोर तेंदुए से मुक्ति दिलाने की मांग की थी। ग्रामीणों की यह मांग वन विभाग के आदेश पर बीती शाम मशहूर शिकारी जॉय हुकील (Joy hukil) ने पूरी की। हुकील की गोली का शिकार बनने के बाद अब क्षेत्रवासियों को तेंदुए के आतंक से मुक्ति मिल गई। बता दें कि मशहूर शिकारी जॉय हुकील राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के रहने वाले हैं। वह इससे पहले राज्य के पिथौरागढ़, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग सहित कितने ही जिलों के लोगों को आदमखोर जंगली जानवरों से मुक्ति दिला चुके हैं। चमोली के गैरबारम गांव में मारा गया आदमखोर तेंदुआ उनका 37वां शिकार था। बताया गया है कि मारा गया आदमखोर एक मादा तेंदुआ थी, जिसकी उम्र सात वर्ष के आसपास रही होगी। हुकील का कहना है कि किसी भी आदमखोर को मारने से पहले उसकी सही पहचान करना उनकी पहली प्राथमिकता होती है।
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