उत्तराखण्ड के पहले लोकगायक पहाड़ी पहचान रत्न दिनेश उनियाल जिन्होंने टी सीरीज में अपने गीत दिए
पहाड़ी पहचान रत्न 2015 से है सम्मानित-
वरिष्ठ लोकगायक दिनेश उनियाल को उनके द्वारा उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति एवं लोक गायन के क्षेत्र में दिए गए अनुपम योगदान हेतु ” पहाड़ी पहचान रत्न 2015 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें पहाड़ी पहचान जनमंत्र के द्वारा प्रदान किया गया था।
उत्तराखण्ड लोकगीतों में इतनी ख्याति प्राप्त करने के बाद क्यों हुए धूमिल – देवभूमी दर्शन के साथ एक खाश बात चित में उनके बड़े बेटे पंकज उनियाल ने बताया की उनके पिता की जिंदगी में एक बहुत बड़ा हादसा हो गया था जिसमे की उनकी आवाज की समस्या उत्पन्न हो गयी थी जिसके बाद से उन्होंने अपने गीत गाने बंद कर दिए थे। इसको किस्मत की ही एक बहुत बड़ी मार कहंगे की दुर्भाग्यवश उन्हें अपने संगीत कला की दुनिया छोड़ कर एक साधारण इंसान की तरह जीवन व्यापन करना पड़ रहा है। उनकी अंतिम कैसेट 2007 में मीना राणा के साथ निकली थी जिसका नाम था तेरी थगयोना मायाउनके बेटे पंकज उनियाल भी संगीत प्रेमी है और उत्तराखण्ड के लोकगीतों में उनका बहुत रुझान है। वो कहते है की आने वाले समय में वो उत्तराखण्ड के लोकगीतों को अपने पिता दिनेश उनियाल और नरेंद्र नेगी की भाँति एक नयी पहचान देंगे।
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