Uniform Civil code(UCC) Hindi: क्या है?? जानिए कुछ खास बातें
Uniform Civil code Hindi: उत्तराखंड के साथ ही देशभर में हो रही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग
इन दिनों भारतीय राजनीतिक सियासी गलियारों में एक हलचल मची हुई है। पक्षी दल हो या विपक्षी दल या फिर देश की जनता हो हर किसी की जुबान पर एक ही नाम है “UCC” जी हां… साल 2023 में UCC सभी के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है पर क्या आप जानते हैं कि सियासी गलियारों में हलचल मचाने वाला यह यूसीसी है क्या।
तो चलिए आज हम आपको भारत देश और सबसे ज्यादा उत्तराखंड राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ यूसीसी(UCC) के विषय में बताएंगे।
(Uniform Civil code Hindi)
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UCC (यूनिफॉर्म सिविल कोड) क्या है (What is UCC (Uniform Civil Code)
UCC (Uniform Civil Code means) शब्द से तात्पर्य “समान नागरिक संहिता” से है। यह एक देश में एक ही कानून पर आधारित है जो देश में सभी मुद्दों जैसे कि संपत्ति के संबंध में, विवाह के संबंध में, तलाक के संबंध में, बच्चा गोद लेने के संबंध में, और भरण पोषण आदि विषयों के संबंध में सभी नागरिकों के लिए समान रूप से अधिकार प्रदान करता है। यानी कि एक देश और एक कानून। यह कानून जिस किसी भी देश में लागू होता है वह वहां के तमाम कानून जैसे कि विवाह के संबंध में, तलाक के संबंध में, संपत्ति के बंटवारे के संबंध में, बच्चा गोद लेने के संबंध में या फिर अधिकार के संबंध में सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए जाते हैं वह सभी धर्मों को समान रूप से मानने को बाध्य करता है।
(Uniform Civil code means)
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कब और कैसे उठी सर्वप्रथम UCC की मांग, क्यों जरूरी है देश में लागू करना (when ucc implemented in india)
भारत देश एक ऐसा देश है जिसमें सभी धर्म के लोग एक कानून को ना मानकर अपने धर्म के कानून के हिसाब से चलते हैं। जिस कारण साल 2023 में यूसीसी पर जंग छिड़ गई क्यूंकि इसे मानने को सभी धर्म के लोग और विपक्षी नेता तैयार नहीं है। क्योंकि अगर यह कानून लागू हो जाता है तो भारत में रहने वाले सभी धर्म के लोगों को इस कानून को मानना होगा ना कि धर्म के आधार पर बने अलग-अलग कानूनों को।
भारतीय संविधान में UCC लागू करने की सर्वप्रथम मांग 1835 में उठी थी तब यहां ब्रिटिश शासन काल था। उस समय यूसीसी में अपराधों, सबूतों आदि मुद्दों पर समान कानून लागू करने की मांग की गई थी। इसी के साथ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में भी सभी नागरिकों के लिए एक जैसे कानून की बात कही गई है। लेकिन भारत देश में जहां अलग-अलग धर्मों के लोग एक ही देश में रहते हैं और यहां की आबादी बहुसंख्यक है और प्रत्येक नागरिकों के और राज्य में अलग – अलग रीती रिवाज है ऐसे में अगर यहां यूसीसी लागू कर दिया जाए तो हर धर्म का अपना कानून खत्म हो जाएगा। जिस कारण उस समय इस कानून को लाने की प्रक्रिया एक बार फिर रोक दी गई थी। 2016 में विधि आयोग द्वारा पुनः इसको लेकर राय मांगी गई थी।
(Uniform Civil code in Hindi)
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फिर 2018 – 2019 में आयोग ने इस पर समीक्षा करते हुए कहा कि भारत में ऐसे किसी कानून की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उस समय यूसीसी में बीजेपी के मुख्य तीन एजेंड़ा शामिल थे जिसमें पहला मुद्दा उनका जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना था दूसरा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण था और अब तीसरा मुद्दा संपूर्ण देश में यूसीसी लागू करना है। जिस पर पुनः एक बार संपूर्ण देश में जंग छिड़ गई है। वहीं उत्तराखंड राज्य में भी UCC चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि 7 मई 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे राज्य में लागू करने की मांग की थी। जिसके लिए उन्होंने एक कमेटी का गठन किया था और इसमें उन्होंने राज्य में इसे लागू करने की मांग रखी थी। हाल ही में यूसीसी के लिए ड्राफ्ट तैयार कर दिया गया है और इसे जल्द ही उत्तराखंड में लागू किया जा सकता है। वही देश की बात करें तो भारत देश में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। जिस कारण देश का प्रारंभिक ढांचा हमेशा से बिगड़ा हुआ है। ऐसे में यूसीसी की मांग इस देश में लगातार उठती रहती है क्योंकि यूसीसी सभी धर्मों, जाति और संप्रदाय आदि को एक ही सिस्टम में जोड़े रखता है।
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क्यों है UCC खास, जानिए कुछ विशेष बाते (Why is UCC special, know some special things)
तो चलिए UCC के संबंध में हम आपको कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे जो इस प्रकार हैं।
(1) यूसीसी एक समान नागरिक संहिता कानून है जो एक देश और एक कानून की मांग करता है।
(2) यह है एक देश में रह रहे सभी धर्मों के लोगों पर सामान रूप से लागू होता है।
(3) इसमें देश में उपस्थित सभी नागरिकों के लिए सुरक्षा प्रदान करने हेतु प्रावधान हैं।
(4) यह कानून तलाक संबंधी विषयों पर, विवाह संबंधित विषयों पर, विरासत संबंधी विषयों पर, रखरखाव संबंधी विषयों पर, संपत्ति के लेनदेन और गोद लेने आदि सभी विषयों पर आधारित है।
(5) UCC के लागू हो जाने के बाद देश में किसी भी धर्म का अपना उपरोक्त विषय से संबंधित कानून लागू नहीं रहेंगे। संपूर्ण देश में बस एक ही कानून सभी धर्मों के लोगों पर अपनाया जाएगा।
(6) इसका उद्देश्य महिलाओं , देश के नागरिकों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों को सुरक्षा प्रदान करना है।
(7) यह कमजोर वर्गों एवं समूह के खिलाफ होने वाला भेदभाव और देशभर में सांस्कृतिक विविधता के अंतर को कम करेगा।
(8) भारत देश में अलग-अलग धर्मों और जाति के लोग रहते हैं ऐसे में प्रत्येक धर्म और जाति के अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं जिससे पुरुष हो या महिलाएं सभी को कई बार धर्म के आधार पर बनाए गए कानूनों में नियमों के कारण शोषण का शिकार होना पड़ता है।इसलिए देश में यूसीसी लागू होने से देश का बिगड़ा हुआ ढांचा सुधरेगा क्योंकि यह सभी धर्मों वर्गों और जाति के लोगों को एक ही सिस्टम में रखेगा।(Uniform Civil code benifit)
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(9) इस कोड के लागू होने से धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बने कानून जैसे हिंदू कोड बिल, वरीयता कानून और अन्य जो भी कानून इस प्रकार के बने हुए हैं यह उन कानूनों में सरलता लाने और उन्हें आसान बनाने का काम भी करेगा।
(10) देश में हर बार महिलाओं का शोषण कभी जाति के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर होता रहा है। जिस कारण महिलाओं के अधिकारों की मांग समय-समय पर उठती रही है। वहीं यूसीसी कानून के जरिए देश के सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होगी और उन्हें किसी भी प्रकार का धर्म और जाति के आधार पर होने वाले शोषण का सामना नहीं करना पड़ेगा और उनके अधिकारों और मांगों के अनुरूप उन्हें स्पष्ट रूप से न्याय मिलेगा।
(11) UCC देश में सभी मामलों में कानून की एकरूपता है यह देश में निवास करने वाले सभी व्यक्ति के लिए सभी रुप से समान कानून लाएगा। इसमें धर्म, संप्रदाय, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं रहेगा। इसके तहत तलाक, विवाह, उत्तराधिकारी, पैतृक संपत्ति में हिस्सा और गोद लेने समस्याओं के लिए कोई अलग कानून नहीं होगा।
(12) इस कानून में धर्म के आधार पर कोई छूट नहीं मिलेगी जो यह कानून कहेगा सभी को वही करना और मानना पड़ेगा।
तो इस प्रकार देश में इन सभी मुद्दों और अधिकारों को लेकर UCC को लागू करने की जंग छिड़ी हुई है। भारत विभिन्न धर्मों को अपनाकर एक एकता में रहने वाला देश है ऐसे में यहां UCC लागू होना बड़े चर्चा का विषय है। लेकिन लगातार हो रहे महिलाओं के हनन एवं शोषण, जाति और लिंग के आधार पर भेदभाव और सामान नागरिक के लिए समान कानून न होने के कारण यह कानून लागू होना भी जरूरी है।
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