देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले उत्तराखण्ड के वीर सपूत मेजर चित्रेश बिष्ट और मेजर विभूति ढौडियाल की शहादत से समूचे प्रदेश में शोक की लहर है। जहाँ मेजर चित्रेश बिष्ट 16 फरवरी को जम्मू कश्मीर के राजौरी में आईईडी डिफ्यूज करते वक्त शहीद हो गए थे, वही मेजर विभूति नारायण ढौंडियाल 18 फरवरी को पुलवामा फिदायीन हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों संग हुई मुठभेड़ में शहीद हुए। अब इसे संयोग कहें या नियति, देश की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने वाले यह दोनों जांबाज एक ही स्कूल से पढ़े हैं। जी हाँ इन दोनों वीर सपूतो ने देहरादून के प्रतिष्ठित सेंट जोजफ्स एकेडमी से अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण की थी। अपने पूर्व छात्रों की शहादत पर स्कूल परिवार जहाँ एक ओर शोकाकुल में है, वही दूसरी ओर उन्हें इस बात पर गर्व भी है की उनके स्कूल से पढ़े छात्र देशहित के काम आए। बता दे की मेजर चित्रेश बिष्ट का मूल निवास अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील के अंतर्गत पीपली गॉंव था , वही मेजर विभूति का मूल गांव पौड़ी जिला स्थित बैजरो ढौंड गांव था ।
देवभूमि उत्तराखण्ड के युवा हमेशा देश सेवा देने के लिए तत्पर रहते है अगर बात करे पहाड़ के युवाओ की तो उनके रगो में एक फौजी होने का जूनून बचपन से ही होता है। इसलिए इसे वीर भूमि भी कहा गया है। यहां के युवाओं में देशभक्ति का जज्बा और सैन्य वर्दी की ललक साफ दिखती है। इस देशभक्ति की ललक ओर जज्बे को भावी पीढ़ी से ओतप्रोत करने वाले अनेक सैन्य स्कूल उत्तराखण्ड में है। अपनी आदर्श शिक्षा से ऐसे जांबाज अफसरों की नींव डालने वाला यह स्कूल देहरादून की प्रतिष्ठित सेंट जोजफ्स एकेडमी है। जहाँ से शहीद मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट और मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की। मेजर चित्रेश ने वर्ष 2005 में बारहवीं पास की, जबकि मेजर विभूति ने यहां दसवीं तक की पढ़ाई की। उन्होंने वर्ष 2000 में दसवीं उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने 12वीं की परीक्षा पाइनहॉल स्कूल से पास की। आज इन जांबाज अफसरों ने भारत माँ की रक्षा के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी। इन जांबाज अफसरों की ये शहादत हमेशा इतिहास के पन्नो और लोगो के दिलो में जिवंत रहेगी। पूर्व एयर चीफ मार्शल एसके सरीन, उप सेना प्रमुख ले जनरल एमएमएस राय, एयर मार्शल राजीव दयाल माथुर, वाइस एडमिरल विनय बधवार व कश्मीर में 52 ऑपरेशन का सफल नेतृत्व कर चुके मेजर रोहित शुक्ला भी इसी स्कूल से पढ़े हैं। मेजर रोहित को शौर्य चक्र से भी अलंकृत किया जा चुका है।