UPSC RESULT UTTARAKHAND: पहले प्रयास में नहीं मिली सफलता तो हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत कर दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर हासिल किया आईएएस का मुकाम
“सीढ़ियां उन्हे मुबारक हो जिन्हे छत तक जाना है; मेरी मंज़िल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है”
ये चंद पंक्तियाँ एकदम सटीक बैठती अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा की होनहार बेटी श्वेता नगरकोटी पर जिन्होने अपने बुलंद होसलो और संघर्ष से सिविल सेवा परीक्षा उतीर्ण कर आईएएस का मुकाम हासिल किया। श्वेता यूपीएससी परीक्षा में 410वां रैंकिंग हासिल कर आईएएस अधिकारी बनी है। श्वेता की इस सफलता से जहां परिजनों में खुशी का माहौल है, वहीं नाते रिश्तेदारों और मित्रों से उन्हें बधाई संदेश का तांता लगा हुआ है। बताते चलें कि श्वेता ने इंटरमीडिएट की परीक्षा गाजियाबाद से उतीर्ण की उसके पश्चात बीएससी बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई करने के बाद यूपीएससी के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन जब पहले प्रयास में असफलता मिली तो उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर से कड़ी मेहनत कर दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर आईएएस का मुकाम हासिल कर लिया। स्वेता के पिता निजी कंपनी में कार्यरत है और माता ग्रहणी है श्वेता के छोटे भाई सौरव ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण कर अभी आईआईटी का प्रथम चरण भी उत्तीर्ण कर लिया है।
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श्वेता की इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान छूट गई पिता की नौकरी फिर भी अडिग रही अपने बुलंद हौसलों पर
श्वेता जब बारहवीं में पढ़ती थी तब उनके पिता गाजियाबाद के एक इलेक्ट्रॉनिक फैक्ट्री में काम करते थे जहाँ नौकरी छूटने पर उन्होंने हल्द्वानी डहरिया में परचून की दुकान शुरू की जो ज्यादा चली नहीं तो वो फिर से परिवार के साथ गाजियाबाद आ गए और यही अपना काम शुरू किया। लेकिन उन्होंने इन विपरीत परिस्थितियों में भी बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होने दी जिसका सकारात्मक परिणाम ही है की आज उनकी बेटी ने आईएएस का सफर तय कर लिया। श्वेता भी अपनी सफलता का श्रेय माता पिता को देती हैं जिन्होंने कदम कदम पर उन्हें प्रोत्साहित किया और कभी पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी। श्वेता देवभूमि दर्शन से अपनी सफलता के विषय में कहती है की ” उन अभावो का ही प्रभाव है जो आज वो इस मुकाम पर है वो कहती है हमेसा संघर्ष करते रहना चाहिए मंजिल एक दिन जरूर मिलती है।
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